चीनी लाइटिंग के बजाय देसी लाइटिंग विके्र ता निखिल जैन ने बताया कि अभी तक तो लाइटिंग का बाजार 20 से 25 प्रतिशत ही है। दिवाली के नजदीक आने पर जरूर अच्छी बिक्री की उम्मीद है। इस चीनी लाइटिंग के बजाय लोग देसी लाइटिंग खरीदना पसंद करेंगे। उसी को ध्यान में रखते हुए देश में निर्मित कई तरह की लाइटिंग्स आई हैं। इनमें छोटे-छोटे बल्ब वाली और लंबी झालर जरूर पसंद की जाएगी। चीनी तो वैसे ही बाजार से आउट हो चुका है तो केवल देसी माल ही लाए हैं। नया माल केवल मांग के अनुसार ही लाया जा रहा है।
देसी झालर और लड़ों की डिमांड
व्यापारियों के अनुसार दिवाली से जुड़े सभी सामान जैसे दीये, मोमबत्ती, बिजली की लडिय़ां, बिजली के रंग बिरंगे बल्ब, वंदनवार, घरों को सजाने के दूसरे सामान, रंगोली, शुभ लाभ के चिह्न, पूजन सामग्री आदि सब कुछ इस बार भारतीय होगा। असली दीयों और मोमबत्ती के लुक में इलेक्ट्रानिक दीये और मोमबत्तियों की झालरें भी बाजार में उपलब्ध है। देसी लडिय़ों में सिंगल कलर, मल्टी कलर की लाइटिंग और देसी झालर आद की डिमांड है। देसी झालर 300 रुपए से शुरू है। वहीं, लाइटिंग वाले दीये नवरात्र के बाद आएंगे। इसमें दीपक की लड़ें मिट्टी के अलावा गोल्डन व सिल्वर में आएंगी। ये 60 से 150 रुपए तक उपलब्ध है।
व्यापारियों के अनुसार दिवाली से जुड़े सभी सामान जैसे दीये, मोमबत्ती, बिजली की लडिय़ां, बिजली के रंग बिरंगे बल्ब, वंदनवार, घरों को सजाने के दूसरे सामान, रंगोली, शुभ लाभ के चिह्न, पूजन सामग्री आदि सब कुछ इस बार भारतीय होगा। असली दीयों और मोमबत्ती के लुक में इलेक्ट्रानिक दीये और मोमबत्तियों की झालरें भी बाजार में उपलब्ध है। देसी लडिय़ों में सिंगल कलर, मल्टी कलर की लाइटिंग और देसी झालर आद की डिमांड है। देसी झालर 300 रुपए से शुरू है। वहीं, लाइटिंग वाले दीये नवरात्र के बाद आएंगे। इसमें दीपक की लड़ें मिट्टी के अलावा गोल्डन व सिल्वर में आएंगी। ये 60 से 150 रुपए तक उपलब्ध है।
अहमदाबाद और इंदौर में बन रहीं भारतीय लाइट्स
विक्रेता नरेश साकरिया ने बताया कि इस बार देसी लाइट्स की डिमांड ही है। अहमदाबाद और इंदौर में भारतीय लाइट्स बन रही हैं। वहीं, से लाइट्स लाई जा रही हैं। चीनी लाइट्स का स्टॉक बचा है, वे ही निकालेंगे। बाकी नया माल नहीं खरीदा है। लोग भी अब चीनी उत्पाद ना खरीदने को लेकर जागरूक हैं तो वे भी नहीं खरीदेंगे।
विक्रेता नरेश साकरिया ने बताया कि इस बार देसी लाइट्स की डिमांड ही है। अहमदाबाद और इंदौर में भारतीय लाइट्स बन रही हैं। वहीं, से लाइट्स लाई जा रही हैं। चीनी लाइट्स का स्टॉक बचा है, वे ही निकालेंगे। बाकी नया माल नहीं खरीदा है। लोग भी अब चीनी उत्पाद ना खरीदने को लेकर जागरूक हैं तो वे भी नहीं खरीदेंगे।