‘महाभारत’ के ‘भीम’ रह चुके हैं एशियाड में गोल्ड मेडलिस्ट , सिल्लियों को उठाकर करते थे प्रैक्टिास

1966 के कॉमनवेल्थ गेम्स में डिस्कस थ्रो (Praveen Kumar’s discus throw at Commonwealth Games) के लिए प्रवीण कुमार का हुआ था चयन

<p>(praveen kumar won four medals Asian Games</p>

नई दिल्ली, दुनिया के सबसे बड़े लॉकडाउन (Lockdown) के वक़्त घरों के भीतर रहने वाले देश के नागरिकों की मांग पर दूरदर्शन (Doordarshan) पर पहले तो रामायण (raamayn) का प्रसारण किया गया जो एक बार फिर टीआरपी में टॉप पर रहा, इसके बाद डीडी भारती पर बीआर चोपड़ा के महाभारत (Mahabharata) का पुनरप्रसारण हुआ वह भी ज़बरदस्त चर्चा में रहा। सुपर डुपर हिट शोज़ में काम करने वाले कलाकार भी चर्चा में आ गए। ऐसे ही महाभारत के भीम (Bhima’s character in Mahabharata) का किरदार निभाने वाले कलाकार की जम कर चर्चा हो रही है।

महाभारत में भीम का रोल निभाने के लिए बीआर चोपड़ा को मजबूत डील-डौल वाले कलाकार की आवश्यकता थी, और बीआर चोपड़ा की तलाश पूरी हुई प्रवीण कुमार सोबती (Praveen Kumar Sobti) से मिलने के बाद, प्रवीण कुमार (praveen kumar won four medals Asian Games) देश के जाने माने ‘हैमर थ्रो’ खिलाड़ी हैं, वे एशियन गेम्स (Asian Games champion) में नंबर वन खिलाड़ी रह चुके हैं। देश के जाने माने खिलाड़ी होने के बाद भी उनकी पहचान बनी महाभारत में भीम का किरदार निभाने पर।

कई प्रतियोगिताएं जीती

प्रवीण कुमार सोबती (Praveen Kumar Sobti ) ने कई प्रतियोगिताएं जीती थी, 1966 के कॉमनवेल्थ गेम्स में डिस्कस थ्रो के लिए उनका चयन हुआ था, जमैका में संपन्न खेल प्रतियोगिता में प्रवीण(praveen kumar won silver medals) ने सिल्वर मेडल जीत कर देश का नाम रौशन किया था। इसके बाद सन 1972 में प्रवीण (Praveen participated in the Olympics) ने जर्मनी के म्यूनिख शहर में हुए ओलंपिक गेम्स में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

जिंदगी में आया बड़ा बदलाव

प्रवीण ने अपने इंटरव्यू में कहा था कि “मैं एशियन खेलों के लिए हैमर थ्रो की प्रैक्टिस कर रहा था तभी मेरी मुलाकात एक कास्टिंग डायरेक्टर से हुई, उसके एक साल बाद मुंबई बुलाया गया, इस बीच कई छोटे मोटे रोल करने का मौका मिला लेकिन जिंदगी में बड़ा बदलाव होना बाकी था।”

बी.आर. चोपड़ा को भीम की तलाश थी..

प्रवीण ने बताया कि महाभारत के सभी कलाकारों का चयन हो गया था लेकिन भीम की तलाश जारी थी ऐसे में जैसे ही बी.आर. चोपड़ा जी की नज़र मुझ पर पड़ी उन्होंने फौरन कहा कि “चलो भई शूटिंग की तैयारी करो भीम मिल गया है।” प्रवीण ने कहा कि आज भी लोग प्रवीण के नाम की बजाय मुझे लोग भीम के नाम से पुकारते हैं।

भीम जैसा शरीर बनाने में लगा 3 साल का वक़्त.

प्रवीण को भीम जैसा शरीर बनाने के लिए हमेशा प्रैक्टिस में बने रहना होता है, और गांव में ना तो जिम होता और ना ही फिटनेस सेंटर होते थे ऐसे में मां की गेंहू पीसने की चक्की का सहारा लिया। उसकी सिल्ल‍ियों को उठा उठाकर प्रैक्टिस करते थे। इसके लिए हरदिन सुबह 3 बजे से सूरज निकलने तक लगातार प्रैक्टिस करना पड़ता था, और देसी खुराक के दम पर जब शरीर बना तो लोग पहचान नहीं पाए।

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