‘बालिका वधू’ फेम प्रत्युषा बनर्जी की मौत के बाद परिवार हुआ आर्थिक तंगी का शिकार, केस लड़ने में गंवाया सबकुछ

प्रत्युषा बनर्जी का केस लड़ते-लड़ते उनके मां बाप ने सब कुछ गंवा दिया है। आज वह आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं। उनके पास अब एक भी रुपया नहीं बचा है।

<p>Pratyusha Banerjee</p>
नई दिल्ली। सुपरहिट टीवी शो ‘बालिका वधू’ की जब भी बात होती है तो इसकी लीड एक्ट्रेस प्रत्युषा बनर्जी को जरूर याद किया जाता है। प्रत्युषा ने सीरियल में आनंदी के युवा अवस्था का किरदार निभाया था। जिसे काफी पसंद किया गया था। इस किरदार को निभाकर प्रत्युषा घर-घर में पॉपुलर हो गई थीं। लेकिन 1 अप्रैल 2016 को उनके निधन की खबर से पूरी टीवी इंडस्ट्री हिल गई थी। हर कोई हैरान रह गया था। उनके किरदार को प्यार करने वाले हर शख्स के लिए यह किसी बड़े सदमे से कम नहीं था।
माता-पिता ने गंवाया सबकुछ
हालांकि, आज तक प्रत्युषा की मौत की वजह साफ नहीं हो पाई है। उनकी मौत को आत्महत्या बताया गया। लेकिन उनके माता-पिता का कहना है कि उनकी बेटी का मर्डर हुआ है। प्रत्युषा का केस लड़ते-लड़ते उनके मां बाप ने सब कुछ गंवा दिया है। आज वह आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
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जैसे-तैसे कट रही है जिंदगी
दरअसल, ‘आजतक’ के साथ बातचीत में प्रत्युषा बनर्जी के पिता शंकर बनर्जी ने बताया कि बेटी की मौत के बाद ऐसा लगता है कि कोई बड़ा तूफान आया हो और सबकुछ लेकर चला गया हो। उन्होंने कहा कि बेटी का केस लड़ते-लड़ते उन्होंने अपना सबकुछ गंवा दिया है। उनके पास अब एक भी रुपया नहीं बचा है। उन्होंने कहा, ‘प्रत्युषा के अलावा हमारा कोई और सहारा नहीं था। उसने ही हमें अर्श तक पहुंचाया था। उसके जाने के बाद अब वापस फर्श पर लौट चुके हैं। हमारी जिंदगी जैसे-तैसे कट रही है। हम लोग अब एक कमरे में रहने के लिए मजबूर हैं। इस केस ने हमसे सबकुछ छीन लिया। कई बार तो कर्ज लेने की भी नौबत आ गई है।’
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मरते दम तक लड़ूंगा
इसके बाद प्रत्युषा के पिता ने बताया कि गुजारे के लिए प्रत्युषा की मां चाइल्ड केयर सेंटर में काम कर रही हैं। वहीं, वह खुद कुछ न कुछ कहानियां लिखते रहते हैं कि शायद कोई बात बन जाए। प्रत्युषा के पिता कहते हैं कि भले ही उनके पास पैसों की कमी हो लेकिन वो हिम्मत नहीं हारे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं प्रत्युषा के हक के लिए मरते दम तक लड़ूंगा। प्रत्युषा की जीत हमारी आखिरी उम्मीद है। मुझे यकीन है कि हम एक दिन जरूर जीतेंगे।’
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