इस पर पंचों की मौजूदगी में देवर रामधन के लडक़े जीतराम के पगड़ी का दस्तूर हुआ था तथा इसने स्वेच्छा से उसे दत्तक पुत्र के रूप में गोद लिया था। कुछ दिनों पहले दत्तक पुत्र जीतराम एवं घीसी के बीच किसी बात को लेकर विवाद हो गया था तब से वह अलग रह रही थी। वह 4 मार्च को अचानक घर से बिना बताएं कही चली गई थी, जिसकी रिपोर्ट दत्तक पुत्र जीतराम ने पीपलू थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाई थी।
इसी दौरान घीसी देवी भी थाने में उपस्थित हो गई और रिपोर्ट दी की वह स्वयं की मर्जी से गई थी। इसके बाद पुलिस ने घीसी देवी की इच्छानुसार उसे दूर के रिश्तेदार राजाराम के पास रहने के लिए छोड़ दिया, जिसे अपने पास रखने को लेकर उसके दत्तक पुत्र ने समाज के पंचों को हनुमान मंदिर में रविवार 7 मार्च को एकत्र कर समझा कर घर ले जाने के लिए बुलाया था।
बातचीत के दौरान घीसी देवी की मंदिर में ही मौत हो गई। जिसकी सूचना पर पीपलू थानाधिकारी हरिनारायण मीणा मय जाब्ते के मौके पर पहुंचे और पोस्टमार्टम करवाकर परिजनों को सुपर्द कर दिया। पुलिस ने घीसी देवी की मृत्यु संदिग्ध अवस्था में होने के मामले को लेकर जांच कर रही है।