लोगों का भरपूर सहयोग मिला, वहीं खुशी भी हुई किसी जरुरतमंद लोगों की मदद कर के। दो महीने से अधिक समय तक दिन-रात काम करने के दौरान जो पीड़ा हुई, उसे मदद करने के बाद लोगों की ओर से मिली मुस्कान ने हर लिया। ज्यादा खुशी तब हुई जब लॉकडाउन में फंसे बिहार के श्रमिकों को ट्रेन के जरिए घर भेजा जा रहा था।
उन्हें नाश्ता, भोजन आदि की व्यवस्था कराई गई। उनके जाते समय आंखों में जो चमक थी, वो दिल को खुश करने वाली थी। कुछ ऐसी बातें साक्षात्कार में जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नवनीतकुमार ने पत्रिका को बताई।
सवाल- किस तरह योजना बनाई
जवाब- कोरोना पॉजिटिव और उनके सम्पर्क में आए लोगों को क्वारंटीन सेंटर में रखना था। सबसे पहले तो यह योजना बनाई कि कितने क्वारंटीन सेंटर बनाए जाए। उनमें लोगों के लिए भोजन, नाश्ता आदि की व्यवस्था की जाए। जिला प्रशासन से लेकर सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भरपूर सहयोग दिया। योजनाएं बनाई कि कैसे लोगों को रखा जाए। इसमें संवेदनशीलता बरतनी थी। आवश्यकता से पहले समाधान ढूंढऩा था। समस्या का समाधान भी तत्काल करना था।
जवाब- कोरोना पॉजिटिव और उनके सम्पर्क में आए लोगों को क्वारंटीन सेंटर में रखना था। सबसे पहले तो यह योजना बनाई कि कितने क्वारंटीन सेंटर बनाए जाए। उनमें लोगों के लिए भोजन, नाश्ता आदि की व्यवस्था की जाए। जिला प्रशासन से लेकर सभी विभागों के अधिकारी-कर्मचारियों ने भरपूर सहयोग दिया। योजनाएं बनाई कि कैसे लोगों को रखा जाए। इसमें संवेदनशीलता बरतनी थी। आवश्यकता से पहले समाधान ढूंढऩा था। समस्या का समाधान भी तत्काल करना था।
सवाल- शिकायतें कैसे पूरी हुई
जवाब- शुरुआत में कई शिकायतें आई तो तत्काल समाधान कराया गया। ईद के रमजान में सहरी व इफ्तार की व्यवस्था देखी गई। कैसे और कितने लोगों की करनी थी। जिला कलक्टर के. के. शर्मा के निर्देशन में हॉस्टल व स्कूल समेत अन्य क्वारंटीन सेंटर का समन्वय स्थापित किया गया। इसमें भामाशाह के साथ नगर परिषद सभापति अली अहमद ने मदद की। सेंटर में महिला, गर्भवति तथा बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा किया गया।
जवाब- शुरुआत में कई शिकायतें आई तो तत्काल समाधान कराया गया। ईद के रमजान में सहरी व इफ्तार की व्यवस्था देखी गई। कैसे और कितने लोगों की करनी थी। जिला कलक्टर के. के. शर्मा के निर्देशन में हॉस्टल व स्कूल समेत अन्य क्वारंटीन सेंटर का समन्वय स्थापित किया गया। इसमें भामाशाह के साथ नगर परिषद सभापति अली अहमद ने मदद की। सेंटर में महिला, गर्भवति तथा बच्चों की आवश्यकताओं को पूरा किया गया।
सवाल- महामारी को लेकर क्या चल रहा था
जवाब- महामारी को लेकर लोग आशंकित थे कि इस अनजाने खतरे से कैसे निपटा जाए। ऐसे में लोगों की काउंसलिंग कराई गई। ड्यूटी पर नियुक्त कर्मचारी भी बीमारी को लेकर सहमे थे। ऐसे में उनको भी समझाया और हौशला अफजाई की गई। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शहर तथा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए ड्राई राशन किट भेजे। बड़ी समस्या तब आई जब क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों की बेड की चद्दर कोई धोने को तैयार नहीं था। ऐसे में सआदत अस्पताल के पीएमओ ने इसमें मदद की।
जवाब- महामारी को लेकर लोग आशंकित थे कि इस अनजाने खतरे से कैसे निपटा जाए। ऐसे में लोगों की काउंसलिंग कराई गई। ड्यूटी पर नियुक्त कर्मचारी भी बीमारी को लेकर सहमे थे। ऐसे में उनको भी समझाया और हौशला अफजाई की गई। उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने शहर तथा ग्रामीण क्षेत्र के लोगों के लिए ड्राई राशन किट भेजे। बड़ी समस्या तब आई जब क्वारंटीन सेंटर में रह रहे लोगों की बेड की चद्दर कोई धोने को तैयार नहीं था। ऐसे में सआदत अस्पताल के पीएमओ ने इसमें मदद की।
सवाल- रोजगार को लेकर क्या रहा
जवाब- लॉकडाउन के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी। ऐसे में मनरेगा शुरू किया गया। अब तक में सर्वाधिक श्रमिक मई महीने में एक लाख 28 हजार 370 लगाए गए। उपमुख्यमंत्री ने एक गांव चार काम का नारा दिया। इसके साथ ही जिले में आए 154 प्रवासियों को मनरेगा में काम दिया गया।
जवाब- लॉकडाउन के चलते लोगों की आर्थिक स्थिति कमजोर हो गई थी। ऐसे में मनरेगा शुरू किया गया। अब तक में सर्वाधिक श्रमिक मई महीने में एक लाख 28 हजार 370 लगाए गए। उपमुख्यमंत्री ने एक गांव चार काम का नारा दिया। इसके साथ ही जिले में आए 154 प्रवासियों को मनरेगा में काम दिया गया।
सवाल- श्रमिकों को वापस घर भेजने की तैयारी कैसी थी
जवाब- जिले के सभी उपखण्ड अधिकारियों से बिहार के श्रमिकों की सूची ली गई। बिहार के श्रमिकों के लिए सवाईमाधोपुर से ट्रेन बुक कराई गई। इसमें 8 लाख 14 हजार रुपए के टिकट लिए गए। सभी श्रमिको को टोंक जिले से बसों के जरिए सवाईमाधोपुर ले जाया गया। जहां उन्हें भोजन व नाश्ता कराकर ट्रेन से भेजा गया। वे जब घर जा रहे थे तो उनकी आंखों में जो खुशी थी, वो हमारी थकान उतारने वाली थी।
जवाब- जिले के सभी उपखण्ड अधिकारियों से बिहार के श्रमिकों की सूची ली गई। बिहार के श्रमिकों के लिए सवाईमाधोपुर से ट्रेन बुक कराई गई। इसमें 8 लाख 14 हजार रुपए के टिकट लिए गए। सभी श्रमिको को टोंक जिले से बसों के जरिए सवाईमाधोपुर ले जाया गया। जहां उन्हें भोजन व नाश्ता कराकर ट्रेन से भेजा गया। वे जब घर जा रहे थे तो उनकी आंखों में जो खुशी थी, वो हमारी थकान उतारने वाली थी।
सवाल- कोई नवाचार किया?
जवाब- प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिला कलक्टर के हम लोग सम्पर्क में रहे। वे क्या नया कर रहे हैं और हम क्या नया कर रहे हैं इसे साझा किया गया। नवाचार के तौर पर हमने केन्द्रीकृत रसोई शुरू की। जो काफी अच्छी रही। इसके अलावा निवाई उपखण्ड अधिकारी ने कुछ हटकर हमें सहयोग दिया। इसमें 400 पलंग, एक हजार ड्राई राशन किट शामिल थे।
जवाब- प्रदेश के करीब आधा दर्जन जिला कलक्टर के हम लोग सम्पर्क में रहे। वे क्या नया कर रहे हैं और हम क्या नया कर रहे हैं इसे साझा किया गया। नवाचार के तौर पर हमने केन्द्रीकृत रसोई शुरू की। जो काफी अच्छी रही। इसके अलावा निवाई उपखण्ड अधिकारी ने कुछ हटकर हमें सहयोग दिया। इसमें 400 पलंग, एक हजार ड्राई राशन किट शामिल थे।