कोरोना संक्रमण के बाद बाहर से लौटने लगे मजदूर, बस स्टैंड के साथ सड़कों पर बैठे

कोरोना वायरस के आंकड़ों को देख बाहर मजदूरी करने गए मजदूर अपने घर की ओर वापस आने लगे।

<p>Finding means to go home after coming to the district</p>


टीकमगढ़.कोरोना वायरस के आंकड़ों को देख बाहर मजदूरी करने गए मजदूर अपने घर की ओर वापस आने लगे। रविवार को घर जाने के लिए साधन ढूंढते नया बस स्टैंड और पुराने बस स्टैंड दिखाई दिए। वहीं कुछ मजदूर सड़क पर पैदल चलते दिखाई दिए। अब घर आने के बाद रोजगार की भी चिंता सताने की कहने लगे। वहीं उनका कहना था कि जान बचे सो अन्य काम कर लेने की बात कही।
रविवार की सुबह ७.४५ बजे के करीब पुराने बस स्टैंण्ड पर देखा तो अपने ग्रहस्थी का सामान बौरियों में बांधकर साथ में रखे थे। अपने साथ बच्चों को भी लिए थे। घर जाने के लिए साधन ढूंढ रहे थे। लेकि न उनके गांवों तक ना तो ऑटो जा रही थी और ना ही बसें आ रही थी। वहीं बच्चों को भूख भी सता रही है। साधन नहीं मिलने के कारण कुछ मजदूर पैदल उत्तरप्रदेश डगराना गांव की ओर जा रहे थे।
पिछले वर्ष के हालातों को देखकर हुए वापस
मजदूर महेंद्र बंशकार, राजू बंशकार, सोमवती और मखन ने बताया कि गांव में मजदूरी मिलने का कोई साधन का कोई साधन नहीं है। परिवार के लोगों का भरण पोषण करने परदेश चले जाते है। पिछले वर्ष जनता कफ्र्यू के बाद कोरोना कफ्र्यू लगा था। परदेश से आने में बहुत सी परेशारियों का सामाना करना पड़ा था। दिल्ली से घर तक पैदल चलना पड़ा था। उसी डर को देखते हुए बच्चों और ग्रहस्थी का सामान लेकर घर आ गए है।
रोजगार की तो सता रही चिंता
उप्र बानपुरर के डगराना निवासी रनधीर लोधी, कमलेश लोधी, रामकुवंर लोधी के साथ अन्य ने बताया कि अभी से तो वहां काम शुरू हुआ था। मजदूरी प्रतिदिन अच्छी मिल रही थी। लेकिन कोरोना संक्रमण के आंकड़े मोबाइलों के साथ टीवी पर देखने को मिल रहे थे। जिसका डर सता रहा था। गांव में भी परिवार रह रहा है। अगर कुछ हो जाता है तो उन्हें कौन संभालेगा। जिसके कारण बच्चों के साथ परिवार को लेकर गांव के लिए आ गए है। पंचायत में काम मिलने की कोई उम्मीद नहीं है।


पंचायत में मजदूरी मिलने की उम्मीद से नहीं आए, प्राण बचाने के लिए आए घर
दिल्ली के पलबल से आए है। अब बड़ागांव धसान की ओर गांव है। वहीं के लिए नया बस स्टैंड पर साधन का इंतजार कर रहे है। सागर बस जाने वाली है उसमें बैंठकर जाएगें। अच्छा काम छोड़कर घर की ओर वापस हुए है। ग्राम पंचायत में मजदूरी मिले। उसकी उम्मीद से नहीं लौटें। ग्राम पंचायत में रोजगार गारंटी के निर्माण कार्यो में नाम तो दर्ज होगा। लेकिन मजदूरी नहीं मिलेगी। सभी मशीनों से होगें।
कही नहीं हुई चैकिंग
बाहर से आए मजदूर रामनरेश अहिरवार और पुष्पेंद्र अहिरवार ने बताया कि पिछले वर्ष पैदल चलकर घर १० दिनों में पहुंचे थे। २० से ५० किमी की दूरी पर थर्मल स्क्रीनिंग से जांच होती थी। जबकि इस वर्ष से कम संक्रमण थे। लेकिन इस वर्ष तो संख्या एक महीनों में अधिक पहुंच गई है। इसके बाद भी कोई जांच नहीं की गई। बसों में भी कोई रोक छेड़ नहीं हुई। उनमें ना तो सोशल डिस्टेंस रखा गया और ना ही मुंह पर मास्क लगाने के लिए जागरूक किया गया। बस स्टैंड पर जिले की पुलिस तैनात है। उसके द्वारा मास्क लगाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
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