Shubh Muhurat: आज बना शत्रुनाशक योग, इस शुभ मुहूर्त में मिलेगी सफलता

सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि सायं ७.४६ तक, तदन्तर अष्टमी जया संज्ञक तिथि रहेगी

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सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि सायं ७.४६ तक, तदन्तर अष्टमी जया संज्ञक तिथि रहेगी। सप्तमी तिथि में वाहन, सवारी, विवाहादि मांगलिक कार्य, नाचना, गाना, वस्त्रालंकार, यात्रा व प्रवेशादि विषयक कार्य शुभ होते हैं। अष्टमी तिथि में प्रतिष्ठा, मनोरंजन, रत्नालंकार, विवाह, वधूप्रवेश आदि विषयक कार्य शुभ कहे गए हैं।
नक्षत्र: भरणी ‘उग्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र अंतरात्रि ३.५७ तक, इसके बाद कृतिका ‘मिश्र व अधोमुख’ संज्ञक नक्षत्र है। भरणी नक्षत्र में अग्निविषादिक असद् कार्य, शत्रुमर्दन, कुआ, कृषि आदि के कार्य तथा कृतिका नक्षत्र में सभा, साहस, अग्निग्रहण, शत्रुनाश व विवादादि कार्य सिद्ध होते हैं।
योग: गंड नामक नैसर्गिक अशुभ योग प्रात: ९.२७ तक, इसके बाद वृद्धि नामक नैसर्गिक शुभ योग है। विशिष्ट योग: ज्वालामुखी नामक अशुभ योग अंतरात्रि ३.५७ से प्रारंभ।

करण: भद्रा संज्ञक विष्टि नामकरण प्रात: ८.३९ तक, तदन्तर बवादि करण रहेंगे।
शुभ विक्रम संवत् : 207४
संवत्सर का नाम : साधारण
शाके संवत् : 193९
हिजरी संवत् : 143८, मु.मास: जिल्काद-२१
अयन : दक्षिणायन
ऋतु : वर्षा
मास : भाद्रपद।
पक्ष – कृष्ण।

श्रेष्ठ चौघडि़ए: आज सूर्योदय से प्रात: ७.३९ तक अमृत, प्रात: ९.१६ से पूर्वाह्न १०.५४ तक शुभ तथा दोपहर बाद २.०९ से सूर्यास्त तक क्रमश: चर, लाभ व अमृत के श्रेष्ठ चौघडि़ए हैं एवं दोपहर १२.०५ से दोपहर १२.५७ तक अभिजित नामक श्रेष्ठ मुहूर्त है, जो आवश्यक शुभकार्यारम्भ के लिए अत्युत्तम हैं।
व्रतोत्सव: आज थदड़ी, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी व्रत स्मार्तों का, श्रीकृष्ण जयंती, विश्व युवा दिवस, कालाष्टमी तथा मेला दनकौर प्रारंभ (उ.प्र.) में। चन्द्रमा: चन्द्रमा सम्पूर्ण दिवारात्रि मेष राशि में रहेगा।

दिशाशूल: सोमवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। पर आज मेष राशि के चन्द्रमा का वास पूर्व दिशा में ही रहता है। जो पूर्व दिशा की यात्रा में सम्मुख होगा। यात्रा में सम्मुख चन्द्रमा धनलाभ कराने वाला व शुभप्रद माना जाता है। राहुकाल: प्रात: ७.३० से ९.०० बजे तक राहुकाल वेला में शुभकार्यारम्भ यथासंभव वर्जित रखना हितकर है।
आज जन्म लेने वाले बच्चे

आज जन्म लेने वाले बच्चों के नाम (लू, ले, लो, अ, इ) आदि अक्षरों पर रखे जा सकते हैं। इनकी जन्म राशि मेष है। जन्म स्वर्णपाद से हुआ है। स्वर्णपाद से जन्मे जातकों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए कुछ दान-पुण्य अवश्य कर देना चाहिए। वैसे ये जातक सामान्यत: धनवान, प्रतिभाशील, कलाकार, सुंदर, सत्यप्रिय, सुमार्गी, कामासक्त, अस्थिर मनोवृत्ति, दीर्घायु और कम बोलने वाले होते हैं। क्रूर ग्रह की महादशा तथा चंद्र-राहु व शनि की अंतर्दशा में इन्हें कुछ हानि व कष्ट आदि का भय रहेगा। मेष राशि वाले जातकों को रोजगार के बहुत अच्छे अवसर प्राप्त होंगे। व्यापार के क्षेत्र में विस्तार होगा।
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