रायगढ़ वन मंडल की डीएफओ विजया रात्रे का एक फैसला इन दिनों डिवीजन में चर्चा का विषय बना हुआ है। मिली जारकारी के अनुसार मामला रायगढ़ रेंज के जामगांव सर्किल स्थित ग्राम अड़बहाल का है। जहां २ अगस्त को हाथियों ने स्थानीय मंदिर में धावा बोल कर भगवान की मूर्ति तोडऩे के साथ तुलसी चौरा को भी नुकसान पहुंचाया था। विभागीय अधिकारी द्वारा घटना स्थल का निरीक्षण कर मुआवजा देने की पहल की गई। वहीं इस संबंध में आला अधिकारी को भी अवगत कराया गया। डीएफओ ने मंदिर व मूर्ति को पब्लिक प्रॉपर्टी का नाम देकर अधिनस्थ कर्मचारी को मुआवजा प्रकरण नहीं बनाने का आदेश दिया। डीएफओ का यह आदेश चर्चा का विषय बना हुआ है।
विभागीय अमला भी है हैरान- विभागीय जानकारों की मानें तो हाथी द्वारा अगर किसी भी स्थान व सामान का नुकसान पहुंचाया जाता है, जो व्यक्ति व किसी संस्था से जुड़ा होता है तो उस स्थिति में मुआवजा देने की प्रावधान है। जिससे हाथी द्वारा पहुंंचाए गए नुकसानी की भरपाई की जा सके। इससे पहले भी ऐसी कवायद हो चुकी है, पर अचानक आला अधिकारी द्वारा अड़बहाल मंदिर मामले में मुआवजा प्रकरण नहीं बनाने की बात खुद उनके विभागीय अधिकारी व कर्मचारी को ही हजम नहीं हो रहा है।
पिछली बार हुई थी पहल- इससे पहले भी अड़बहाल स्थित मंदिर में हाथी ने उत्पात मचा कर नुकसान किया था। हालांकि उस समय मंदिर का निर्माण कार्य चल रहा था, जिसकी वजह से उतना फर्क नहीं पड़ा। हालांकि विभाग द्वारा उस समस मुआवजा देने को लेकर विभागीय कवायद की गई थी, पर इस बार ऐसा कुछ नहीं हुआ। ऐसे में, ग्रामीण, जनप्रतिनिधी, मंदिर की संस्था से जुड़े लोगों को स्वयं के खर्चे पर ही मंदिर का जीर्णोधार करना होगा।
अड़बहाल में हाथियों ने मंदिर में तीन सप्ताह पहले नुकसान पहुंचाया था। मुआवजा की प्रक्रिया करने से पूर्व घटना स्थल का निरीक्षण भी किया गया था, पर आला अधिकारी ने पब्लिक प्रॉपर्टी की बात कह मुआवजा प्रकरण नहीं बनाने की बात कही है।
टीआर भगत, सर्किल प्रभारी, जामगांव।
टीआर भगत, सर्किल प्रभारी, जामगांव।