ऑडिट रिपोर्ट में हुआ ऐसा खुलासा और अस्पताल प्रशासन में मच गयी खलबली

ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा होने के बाद पीबीएम प्रशासन में हड़कंम मच गया है।

<p> दवा खरीद में लाखों का घोटाला</p>
बीकानेर. पीबीएम अस्पताल में मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत मरीजों को दी जाने वाली दवा में लाखों रुपए का घोटाला सामने आया है। ऑडिट रिपोर्ट में इसका खुलासा होने के बाद पीबीएम प्रशासन में हड़कंम मच गया है। योजना में करीब साठ लाख रुपए की दवा खरीद में भंडार प्रविष्टि का अभाव, दवाइयों का उच्च दरों पर खरीद करना, नि:शुल्क दी जाने वाली दवाओं के अलावा अन्य दवाइयों की खरीद और दवा के निर्गमन इन्द्राज की कमी को दर्शाया गया है।
 

रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि दवाइयों की खरीद के लिए जीएफ.एआर पार्ट-1 नियम 50 के तहत क्रय समिति का गठन नहीं किया गया। लाइफ सेविंग मेडिकल स्टोर की स्थापना मरीजों को कम रेट पर दवाइयां उपलब्ध करवाने के लिए की गई थी, लेकिन लाइफ सेविंग मेडिकल स्टोर ने ऐसा नहीं किया।
 

खरीद समिति की ओर से एक ही दवा की अलग-अलग दरें अनुमोदित की गई। उदाहरण के तौर पर पेन्टाप्रेजोल 40 एमजी इन्जेक्शन की दर बिल संख्या 15.10.2011 के माध्यम से 13,3665 रुपए प्रति इन्जेक्शन के हिसाब से लगाई गई। वही बिल संख्या 4/15 (दिनांक 10.2011) में इन्जेक्शन की दर 18,1546 रुपए ली गई है।
 

आरएमएससी की ओर से जारी दवाइयों व मेडिकल कॉलेज की ओर से लाइफ सेविंग मेडिकल स्टोर से खरीद की गई दवाइयों की दरों में भारी अंतर के कारण राज्य सरकार को 18,99,368 रुपए का अतिरिक्त व्यय सहन करना पड़ा।
मनमाने ढंग से दवाओं की खरीद
 

केन्द्र व राज्य सरकार की ओर से सरकारी अस्पतालों में विभिन्न योजनाओं के तहत दवाइयां नि:शुल्क दी जा रही हैं। इसके बावजूद सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज की ओर से उन दवाइयों की खरीद की गई, जिनकी जरूरत ही नहीं थी। इसमें राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यक्रम के तहत आने वाली क्लीनडामाइसिन टैब 300 एमजी, क्लीनडामाइसिन इन्जेक्शन 300 और 600 एमजी शामिल हैं।
 

इसकी कीमत 6 लाख 85 हजार 512 रुपए, राष्ट्रीय मच्छर जनित बीमारियों के नियंत्रण के तहत नि:शुल्क दी जाने वाली आर्टीशयूनेट 60 एमजी इन्जेक्शन की कीमत 2 लाख 74 हजार 353 रुपए तथा जननी सुरक्षा योजना के तहत दर्द निवारक इंजेक्शन डायक्लोफेनिक, ऑयोडीन, फ ोलिक एसिड टैब (कीमत 9 लाख 51 हजार 472 रुपए) कर खरीद की गई।
 

मुख्यमंत्री नि:शुल्क दवा योजना के तहत जारी दवा सूची में जो दवाइयां शामिल ही नहीं थी, उनकी भी खरीद कर 15 लाख 23 हजार 505 रुपए की चपत सरकार को लगाई गई। इन दवाओं में एस्ट्रोनेट 60 इन्जेक्शन, एस्ट्रोस प्लस इंजेक्शन, क्लीनडीमैनिक इंजेक्शन, क्यूसूनेट इंजेक्शन शामिल हैं।
 

जांच कराएंगे

वर्ष 2011 में दवाइयों की खरीद में कोई गड़बड़ी हुई है, इसकी ऑडिट रिपोर्ट में किसी तरह का ऑब्जेक्शन लगाया है। इसकी शिकायत मिली है। पता करवा रहे हैं।
डॉ. आरपी अग्रवाल, प्रचार्य, एसपी मेडिकल कॉलेज
 

स्टॉक रजिस्टर में बिल चस्पा नहीं
रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि खरीदी दवाइयों की भंडार रजिस्टर में प्रविष्टि नहीं की गई है। लाइफ मेडिकल स्टोर के 1,2,4 की दवाइयों के बिलों की कॉपी स्टॉक रजिस्टर में चस्पा की है तथा बिल संंख्या 21,25,27 की दवाइयों के केवल नामों का उल्लेख है। इन इन्द्राज को भण्डारपाल एवं प्रभारी अधिकारी ने अपने हस्ताक्षरों से प्रमाणित नहीं किया है। इन दवाइयों को निर्गमन करना भी नहीं दर्शाया गया है।
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