कोरोना के साथ मच्छरों से बढ़ी परेशानी

लोगों को घरों के दरवाजे व खिड़कियां रखनी पड़ रही बंद
 

<p>कोरोना के साथ मच्छरों से बढ़ी परेशानी</p>
सिलवासा. कोरोना महामारी के बीच लोग पसीने की चिपचिपाहट एवं मच्छरों के आतंक से परेशान हैं। शहर में मच्छरों की तादाद इस कदर बढ़ गई है कि लोगों को घरों के दरवाजे व खिड़कियां बंद रखनी पड़ रही हैं। सिलवासा, आमली, दादरा, नरोली, मसाट के अलावा रखोली, खानवेल में मच्छरों का आतंक सिर चढ़कर बोल रहा है। मच्छरों पर नियंत्रण में नगरपालिका और स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह विफल रहा हैं।
मच्छरों की फौज से लोग घरों में भी परेशान है। भीषण गर्मी में मच्छरों से बचाव के लिए घरों की खिड़कियां बंद रखने के अलावा कोर्ई विकल्प नहीं है। मच्छरों की उत्पत्ति का मुख्य कारण गटरों में दूषित पानी व बहाव में रुकावट है। गटरों का निकास नदी-नालों में किया गया है। गटर और नालियां सफाई के अभाव से मच्छर उत्पत्ति की फैक्ट्रिया बन गई हैं। लोगों का कहना है कि एसएमसी ने प्रोपर्टी टैक्स में भारी वृद्धि की है, मगर सुविधा एवं मच्छरों से मुक्ति के लिए कोई योजना नहीं है।
गर्मी में ज्यादा काटते हैं मच्छर

जानकारी के अनुसार मच्छर पसीना व कार्बन डाइऑक्साइड सूंघकर मनुष्य को काटते हैं। गर्मी में मानव शरीर से अधिक पसीना निकलता हैं। केवल मादा मच्छर ही खून चुसती है, नर मच्छर शाकाहारी होते हैं। मादा मच्छर एक साथ 300 अंडे दे सकती है। अपने जीवन चक्र में 500 अंडे पैदा कर सकती है। मच्छर नीले रंग की और ज्यादा आकर्षित होते हैं। प्रदेश में क्यूलेक्स, एनोफिलीज, एडीस व कुलीसेटा की कई प्रजातियां निवास करती है।
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