जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार ने रासायनिक खाद डीएपी, एनपीके (12.32.16) और एनपीके (10.26.26) के दामों में बीते एक वर्ष में 25 फीसदी का इजाफा कर दिया है। वर्ष 2018 के दौरान अल-अलग चार बार दामों में इजाफा हुआ है। सितंबर 2017 में डीएपी की एक गुणी के दाम 1086 रुपया थे, जो बढक़र हाल में 1390 रुपए हो गए।
एनपीके (12.32.16) के दाम सितंबर 2017 में 1061 थे, जो बढक़र 1405 और एनपीके (10.26.26) के दाम 1050 से बढक़र 1400 रुपया प्रति गुणी हो गए। खादों के लगातार भाव बढऩे से किसानों में रोष व्याप्त है।
हाल ही में गन्ना समेत अन्य फसलों की बुवाई कार्य शुरू हुआ है। ऐसे में शुरू में ही खाद के दामों में बढ़ोत्तरी ने किसानो की चिंता बढ़ा दी है।
हाल ही में गन्ना समेत अन्य फसलों की बुवाई कार्य शुरू हुआ है। ऐसे में शुरू में ही खाद के दामों में बढ़ोत्तरी ने किसानो की चिंता बढ़ा दी है।
उकाई डैम में पानी की आवक नहीं होने से किसान सिंचाई के पानी के जुगाड़ के लिए पहले से ही जूझ रहा है, ऐसे में खाद के बढ़े दामों ने उसकी मुश्किल और बढ़ा दी है। खाद के दामों में बार-बार हो रही इस वृद्धि से क्षेत्र के किसान उद्वेलित हैं और यह नाराजगी आने वाले दिनों में किसी बड़े आंदोलन का सबब बन सकती है।
लागत और आय का गड़बड़ाया गणित प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी केंद्र की सत्ता पर काबिज होने के बाद से ही किसानों की आय डेढ़ गुना करने की बात कहते आ रहे हैं। खाद के दामों में लगातार हो रहा इजाफा उनके दावे पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है। एक तरफ मौसम की मार तो दूसरी तरफ खाद-बीज के बढ़े दाम, छोटे और सीमांत किसान इनके बीच पिसकर रह गए हैं। किसानों का आरोप है कि यदि ऐसे ही खाद के दाम बढ़ते रहे तो सरकार से तय न्यूनतम समर्थन मूल्य भी बढ़ी लागत का खर्च नहीं निकाल पाएगा। लगातार हो रही इस वृद्धि पर जानकारों का कहना है कि देश में खेती किसानी बचानी है तो खाद के दामों पर नियंत्रण रखना होगा।
किसान पहले से परेशान इस साल किसानों की माली हालत बिगड़ी हुई है। बारिश कम होने से सिंचाई की चिंता से परेशान हैं। पानी नहीं मिलने से गन्ने, सब्जी, केले आदि फसलों पर पहले ही संकट है। इस बीच रासायनिक खाद के दाम बढ़ाकर सरकार ने किसानों की स्थिति और खराब कर दी है।
जयेश पटेल, प्रमुख, दक्षिण गुजरात खेडूत समाज
जयेश पटेल, प्रमुख, दक्षिण गुजरात खेडूत समाज