सूरत. हीरा के पुराने ट्रैक रिकार्ड को देखते हुए हीरा उद्यमी निश्चिंत हैं कि यह दौर ज्यादा लंबा नहीं चलने वाला। वे जानते हैं कि हीरे की चमक बरकरार है। मौका मिलते ही हीरा फिर उछलेगा और पुराने हिसाब चुकता हो जाएंगे। लोगों को अब कोरोनाकाल के खत्म होने का इंतजार है।
कभी अभिजात्य काया पर सजने वाला हीरा आज हर आम और खास की मुट्ठी में आ गया है। वैश्विक बाजार में हीरे की मांग हमेशा बनी रहती है। यही नहीं बीते करीब एक दशक में डॉमेस्टिक मांग में भी खासा उछाल आया है। वर्ष 2008 की ग्लोबल मंदी में सबसे गहरी चोट हीरे पर पड़ी थी, लेकिन हालात सामान्य होते ही सबसे पहले हीरा चमका।
नोटबन्दी और जीएसटी जैसी अड़चनों ने जहां बाकी कारोबार को फिर मंदी में धकेल दिया था, हीरे की रफ्तार पर ब्रेक नहीं लगा। जानकार इसकी वजह हीरे की अंतरराष्ट्रीय मांग का बना रहना मानते हैं। हीरा कारोबारी भी मानते हैं कि कोरोना के बादल छंटते ही हीरा फिर बाउंस बैक करेगा। उन्हें बस सही अवसर का इंतजार है। हीरा उद्यमियों को चिंता इस बात की है कि जैसे ही कोरोना के बादल छटेंगे, उनके लिए अंतरराष्ट्रीय मार्केट में हीरे की मांग को पूरा करना चुनौतीभरा हो सकता है।
अमेरिका है बड़ा बाजार
अमेरिका हीरा का सबसे बड़ा बाजार है। इसके बाद जापान और हांगकांग हीरे की बड़ी मंडी है, जहां सूरत का हीरा जाता है। जानकारों के मुताबिक जिस दिन अमेरिका, जापान और हांगकांग में स्थितियां सामान्य हो जाएंगी, हीरा कारोबार भी पटरी पर लौट आएगा। इसके समर्थन में जानकार वर्ष 2008 की वैश्विक मंदी का उदाहरण देते हैं। उनके मुताबिक वैश्विक मंदी से अमेरिका उबरा तो हीरा कारोबार भी चल पड़ा था। 2008 जैसी मंदी हीरा कारोबारियों ने अब तक नहीं देखी है।अप्रेल-मई में लगा था बड़ा झटका
कोरोना संक्रमण का सबसे ज्यादा असर अप्रेल-मई महीने में देखने को मिला था। बीते वर्ष सामान्य परिस्थितियों में अप्रेल से मई के बीच 43.14 लाख कैरेट हीरे का एक्सपोर्ट हुआ था, जो इस बार मई महीने में घटकर महज 5.73 लाख कैरेट ही रह गया था। अनलॉक 1.0 में जब कारखाने खुले और काम शुरू हुआ तो स्थिति थोड़ी संभलती दिखी थी। बीते वर्ष अप्रेल से जून महीने में 65.51 लाख कैरेट हीरा एक्सपोर्ट हुआ था जो इसी अंतराल में इस बार 11.93 लाख कैरेट पर अटक गया है। हालांकि इस वर्ष के अप्रेल से जून तक के संशोधित आंकड़े अभी आने बाकी हैं।सबसे पहले हीरा चलता है
मंदी हो या कोरोना जब दुनिया इसकी चपेट में आती है तो हीरा भी बचा नहीं रह सकता। लेकिन हीरे की चमक कभी कम नहीं होती। जैसे ही हालात सामान्य होंगे, हीरे की वैश्विक डिमांड भी जोर पकडऩे लगेगी। उस डिमांड को पूरा करने के लिए हमें तैयार रहना होगा।राजेंद्र देरासरिया, हीरा उद्यमी एवं पूर्व प्रमुख, नवसारी डायमंड मर्चेंट एसोसिएशन, नवसारी