सूरत पर छाए वक्रतुंड महाकाय
दस दिन तक ‘गणपति बप्पा मोरया’ की धूमधाम, देर रात तक निकलती रहीं शोभायात्राएं
सूरत. गणपति महोत्सव से पहले ही सूरत गणपतिमय हो गया है। शहरभर में जगह-जगह पंडालों में विराजमान करने के लिए बुधवार देर रात तक बाजे-गाजे के साथ गणपति की प्रतिमाएं ले जाने का सिलसिला जारी रहा। गुरुवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर ज्यादातर पंडालों में स्थिर योग में प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही दस दिन के महोत्सव की धूमधाम शुरू हो जाएगी।
ज्योतिषी हरीश जोशी के मुताबिक पुराणों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के मध्याह्न काल में भगवान गणपति का जन्म माना गया है। गत वर्ष गणपति स्थापना रवि योग में की गई थी। इस बार मंगलमूर्ति विघ्नविनायक गणराज की स्थापना स्थिर योग में की जाएगी। स्थिर योग गुरुवार सुबह 6 बजकर 26 मिनट से दोपहर 2 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस दौरान गणपति प्रतिमा की स्थापना करना शास्त्र सम्मत है। स्थिर योग के अलावा गणपति स्थापना का गुरुवार सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 58 मिनट तक शुभ चौघडिय़ा है। सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक चल-लाभ का चौघडिय़ा रहेगा, जबकि शाम 5 बजकर 2 मिनट से 6 बजकर 43 मिनट तक शुभ चौघडिय़ा रहेगा। शुभ और चल-लाभ के चौघडिय़े में श्रद्धालु गणपति प्रतिमा की स्थापना कर सकेंगे। इस अवधि के बीच दोपहर डेढ़ बजे से तीन बजे तक राहुकाल रहेगा। इसमें श्रद्धालु गणपति प्रतिमा की स्थापना टालेंगे।
ज्योतिषी मुकेश पारीक ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि बुधवार शाम 4 बजकर 8 मिनट से गुरुवार दोपहर 2 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष मत में गणेश चतुर्थी के मध्याह्न समय में गणेश पूजा के लिए श्रेष्ठ समय है। शहर में ज्यादातर पंडाल, सोसायटी-अपार्टमेंट में इसी अवधि में गणपति की स्थापना की जाएगी।
दस दिन तक ‘गणपति बप्पा मोरया’ की धूमधाम, देर रात तक निकलती रहीं शोभायात्राएं
सूरत. गणपति महोत्सव से पहले ही सूरत गणपतिमय हो गया है। शहरभर में जगह-जगह पंडालों में विराजमान करने के लिए बुधवार देर रात तक बाजे-गाजे के साथ गणपति की प्रतिमाएं ले जाने का सिलसिला जारी रहा। गुरुवार को गणेश चतुर्थी के मौके पर ज्यादातर पंडालों में स्थिर योग में प्रतिमाओं की स्थापना की जाएगी। इसके साथ ही दस दिन के महोत्सव की धूमधाम शुरू हो जाएगी।
ज्योतिषी हरीश जोशी के मुताबिक पुराणों के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के मध्याह्न काल में भगवान गणपति का जन्म माना गया है। गत वर्ष गणपति स्थापना रवि योग में की गई थी। इस बार मंगलमूर्ति विघ्नविनायक गणराज की स्थापना स्थिर योग में की जाएगी। स्थिर योग गुरुवार सुबह 6 बजकर 26 मिनट से दोपहर 2 बजकर 54 मिनट तक रहेगा। इस दौरान गणपति प्रतिमा की स्थापना करना शास्त्र सम्मत है। स्थिर योग के अलावा गणपति स्थापना का गुरुवार सुबह 6 बजकर 27 मिनट से 7 बजकर 58 मिनट तक शुभ चौघडिय़ा है। सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 1 बजकर 32 मिनट तक चल-लाभ का चौघडिय़ा रहेगा, जबकि शाम 5 बजकर 2 मिनट से 6 बजकर 43 मिनट तक शुभ चौघडिय़ा रहेगा। शुभ और चल-लाभ के चौघडिय़े में श्रद्धालु गणपति प्रतिमा की स्थापना कर सकेंगे। इस अवधि के बीच दोपहर डेढ़ बजे से तीन बजे तक राहुकाल रहेगा। इसमें श्रद्धालु गणपति प्रतिमा की स्थापना टालेंगे।
ज्योतिषी मुकेश पारीक ने बताया कि भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि बुधवार शाम 4 बजकर 8 मिनट से गुरुवार दोपहर 2 बजकर 51 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष मत में गणेश चतुर्थी के मध्याह्न समय में गणेश पूजा के लिए श्रेष्ठ समय है। शहर में ज्यादातर पंडाल, सोसायटी-अपार्टमेंट में इसी अवधि में गणपति की स्थापना की जाएगी।