विभाग द्वारा चयनित समूहों को बगैर औषधि एवं खाद्य प्रशासन विभाग के लाइसेंस के ही रेडी-टू-ईट उत्पादन व पैकेजिंग के लिए दबाव बनाया जा रहा है, जबकि नियम के मुताबिक महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा चयनित समूह को प्रशिक्षण दिया जाना था तथा समूह के सदस्यों के स्वास्थ्य परीक्षण के बाद खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा खाद्य पदार्थ के उत्पादन व पैकेजिंग के लिए लाइसेंस जारी किया जाता है।
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गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व खाद्य एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा विभिन्न होटलों व किराना दुकानों में छापा मारकर दुकानों को सील किया गया था। बताया जा रहा है कि बड़े पैमाने पर इन दुकानों से खाने की चीजें एक्सपायरी व गुणवत्ता विहीन सामग्री मिली थी जिनका सैंपल लेकर परीक्षण के लिए लैब भेजा गया है।
ऐसे में सवाल उठ रहा है कि जब विभिन्न होटल, किराना दुकान इसके दायरे में आते हैं तो महिला एवं बाल विकास विभाग के आला अधिकारी जिन्हें नियम कायदे की जानकारी है, उनके द्वारा इस तरह की लापरवाही बरती जा रही है।
महत्वपूर्ण शर्तों को नजरअंदाज कर रहे अधिकारी
विभाग द्वारा समूह के चयन में इस शर्त का स्पष्ट उल्लेख है कि महिला एवं बाल विकास विभाग एवं महिला स्वयं सहायता समूह के साथ अनुबंध के पूर्व खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के अनुसार स्वयं सहायता समूहों को खाद्य सुरक्षा अनुज्ञप्ति लेना अनिवार्य है।
इसके बाद भी महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारी इस महत्वपूर्ण शर्त को नजरंदाज कर रहे हैं। जबकि यह बच्चों एवं महिलाओं के पोषण व सुरक्षा से जुड़ा गंभीर व महत्वपूर्ण मामला है तथा नियम व शर्तों के उल्लंघन पर 5 लाख का जुर्माना व 6 माह का सश्रम कारावास का प्रावधान है।
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कई महिलाओं को नियमों की नहीं होती जानकारी
गौरतलब है कि महिला स्वयं समूह की सभी सदस्य कम पढ़ी-लिखी होने के कारण उन्हें शासन के नियमों की जानकारी नहीं होती है। जबकि रेडी टू ईट का उत्पादन का अत्यंत महत्वपूर्ण काम होता है क्योंकि समूह के द्वारा तैयार पोषण आहार हर माह नौनिहाल बच्चों एवं गर्भवती माताओं को वितरित किया जाता है।
लाइसेंस के बाद ही उत्पादन की अनुमति
मेरे द्वारा महिला एवं बाल विकास विभाग से नए आबंटित समूहों की जानकारी के लिए पत्र लिखा जा रहा है। साथ ही खाद्य सुरक्षा अनुज्ञप्ति के बाद ही नए समूहों को मांग पत्र एव उत्पादन की अनुमति दी जा सकती है।
नितेश मिश्रा, खाद्य एवं औषधि प्रशासक, सूरजपुर