दालों की हो रही कालाबाजारी, पीली मटर का बेसन बाजार में चने के बेसन के रूप में बेचा जा रहा

बाजारों में पीली मटर के बेसन में हल्दी पाउडर मिलाकर उसे चटक पीला बनाकर चने के बेसन के रूप में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है.

<p>Daal news</p>
सुलतानपुर. कोरोना काल में काला बाजारी करने वालों के पौ बारह हैं। आवश्यक वस्तुओं के दामों में मनमर्जी के मुताबिक ज्यादा दामों पर बेच रहे काला बाजारियों पर अभी तक कोई कार्यवाई नहीं होने से उनके हौंसले बुलंद हैं। बाजारों में पीली मटर के बेसन में हल्दी पाउडर मिलाकर उसे चटक पीला बनाकर चने के बेसन के रूप में धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। 80 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाला मटर का बेसन 150 रुपये प्रति किलो की दर से बाजारों में बेचा जा रहा है और प्रशासन कान में तेल डाल सबकुछ जानते हुए भी अनजान बना हुआ है।
पुरानी कहावत है कि “दाल में कुछ काला है” ! लेकिन यहां तो पूरी दाल ही काली नजर आ रही है। बाजारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार विदेशों से आई पीली मटर की दाल अरहर की दाल के रूप में बाजारों में धड़ल्ले से बेंची जा रही है। इतना ही नहीं, इसी पीली विदेशी दाल के बेसन में हल्दी का पाउडर डालकर उसे थोड़ा अधिक पीला बनाकर बाजारों में चनें के बेसन के रूप में बेचा जा रहा है। दाल आढ़तिया मदनलाल मोदनवाल बताते हैं कि जिस बाजार में दालों की तेजी पर लगाम लगाने में विलायती पीली मटर ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। देखा जाय तो जिस बाजार में जिस भाव में चना बिक रहा है और चनें की दाल बिक रही है, लगभग उसी भाव में मटर और मटर की दाल भी बिक रही है। हां इतना जरूर है कि मटर और चनें में 5-10 रुपए का अंतर है। और तो और उर्द की दाल भी लगभग उसी दर पर बिक रही है। इस चौंकाने वाले बाजारी डुगडुगी के पीछे “दाल काली” होना बताया जा रहा है। मतलब आईने की तरह एकदम साफ है कि बड़ी अरहर की दाल में पीली मटर की दाल खपने लगी है। इसी तरह भूने हुए चने में भी छोटे- छोटे कंकड़ की तरह चने के नुमा ही एक दूसरा चीज मिलाई जा रहा है। कुल मिलाकर देखा जाय तो जिंस बाजार में मिलावटखोर सुरक्षित मिलावट करके चांदी काट रहे हैं।
स्वाद से भी पीली मटर को पहचान पाना मुश्किल-

जिंस बाजार में मिलावटखोरों के कारनामें ऐसे कि लोगों को चक्कर आ जाये । मिलावटखोर मिलावट का सबसे ज्यादा खेल चनें और मटर के बेसन में कर रहे हैं । बाजार के सूत्रों के अनुसार पीली मटर के बेसन को आम आदमी के समझ से बाहर है ,यानी कि पीली मटर के बेसन को पहचान पाना बहुत मुश्किल है । बाजारों के जानकार तो यह भी बताते हैं कि पीली मटर के बेसन को न स्वाद से और न ही रंग-रूप से पहचान कर पाना बेहद कठिन है । ऐसे में हर रोज आम आदमी इन मिलावटखोरों का शिकार हो रहा है ।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.