शेयर बाजार रिकॉर्ड ऊंचाई पर है, जीएसटी कलेक्शन में तेजी से साथ मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी 14 साल में सबसे तेज है। सर्विस सेक्टर का ग्रोथ भी शानदार है जो घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाता है। हालांकि, मंत्रालय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि खाद्य महंगाई में उछाल सरकार के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है।
कोविड के बाद महंगाई निचले लेवल पर
मंथली इकोनॉमिक रिव्यू में कहा गया कि खुदरा महंगाई दर कोविड के बाद अपने निचले लेवल पर आ गया है। वित्त वर्ष 2022-23 में खुदरा महंगाई दर 6.7 प्रतिशत थी वो 2023-24 में घटकर 5.4 प्रतिशत पर आ गई। हालांकि, खाद्य महंगाई फरवरी 2024 में 8.7 प्रतिशत और मार्च 2024 में 8.5 प्रतिशत रही। साग-सब्जियों और दालों की कीमतें बढऩे से खाद्य महंगाई बढ़ी है। उच्च खाद्य महंगाई भारत के साथ दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के लिए भी चुनौती बनी हुई है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि अच्छे मानसून के साथ यदि पूरे देश में बारिश का डिस्ट्रीब्यूशन बेहतर रहा तो खाद्य महंगाई पर काबू पाया जा सकेगा।
‘देश के विकसित होने पर घटेगी महंगाई’
आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की सदस्य आशिमा गोयल ने कहा कि भारत में महंगाई की समस्या आगे चलकर कम गंभीर होगी। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे भारत विकसित होगा, यह महंगाई की समस्या कम होती जाएगी। भारत में घरेलू बजट में भोजन की हिस्सेदारी अधिक है। देश में कृषि उत्पादकता बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि अनाज-सब्जियों की स्थिर कीमतें महंगाई के दबाव को खत्म कर देती है।