कलक्ट्रेट कर्मियों ने अपनी अपनी शाखाओं में हाजिरी लगाई और इसके बाद कलक्टर कार्यालय के आगे ही दरी बिछाकर धरना लगा दिया। वहां जमकर कलक्टर के खिलाफ नारेबाजी भी की। राजस्व मंत्रालियक कर्मचारी संघ के जिलाध्यक्ष सीताराम की अगुवाई में कलक्ट्रेट कर्मियों का कहना था कि कोरोनाकाल के बावजूद कलक्ट्रेट कर्मियों ने कोरोना वॉयरर्स के रूप में अपना किया।
यहां तक कि आए दिन वीडियो क्राफेसिंग सरकारी अवकाश के दिन होने के बावजूद मजबूरन आना पड़ रहा है। लेकिन आकस्मिक अवकाश मांगने पर जिला कलक्टर अपने कार्यालय के बाहर करीब एक घंटे तक खड़ा रखते है। अवकाश की अर्जी देखते हुए अभद्र भाषा का इस्तेमाल कर अवकाश की अनुमति नहीं देते। जबकि आकस्मिक अवकाश के लिए अनुमति की जरुरत नहीं होती लेकिन कलक्टर ने अपने अधीनस्थ अधिकारियों को इसके लिए भी पाबंद कर दिया कि अवकाश उनकी अनुमति के बाद ही स्वीकार होगा अन्यथा नहीं।
एक लिपिक को जयपुर में परीक्षा देने के लिए अवकाश की जरुरत हुई तो उसने कलक्टर के समक्ष पेश कर दो दिन का अवकाश मांगा तो उसे अवकाश की अनुमति नहीं दी। इसलिए बिगाड़ा तालमेल कलक्ट्रेट कर्मियों का कहना था कि जिला कलक्टर कलक्ट्रेट का मुखिया होता है।
लेकिन जिला स्तरीय अधिकारियों की बैठक में कलक्टर किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को उन पर तिलक लगाने या शारीरिक बनावट आदि पर न केवल व्यंग्य कसते है बल्कि असभ्य भाषा में तिरस्कार के रूप में अंगुली दिखाकर बोलते है।
कलक्ट्रेट में हुई अधिकारियों की समीक्षा बैठक में एक कार्मिक और एक अधिकारी के साथ बर्ताव हुआ। इससे तंग आकर कलक्ट्रेट कार्मिक लामबंद हो गए और सामूहिक रूप से धरने पर बैठ गए। जैसे ही कलक्ट्रेट कर्मियों के कलक्टर के खिलाफ धरना देकर नारेबाजी करनी शुरू की तो अन्य संगठनों के वहां आने की सूचना मिलते ही कलक्टर ने यू टर्न लिया।
उन्होंने कल्क्ट्रेट के कार्मिकों का एक प्रतिनिधिमंडल राजस्व मंत्रालियक कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के साथ अपने चैम्बर में बुलाया और कार्यालय अधीक्षक जगदीश कामरा को आकस्मिक और उपार्जित अवकाश आदि के लिए अधिकृत कर दिया।
इधर, एडीएम प्रशासन भवानी सिंह पंवार ने बताया कि यह सही है कि कलक्ट्रेट कर्मियों ने बुधवार को कुछ मनमुटाव को लेकर अपना विरोध किया था। लेकिन वार्ता होने के बाद यह मामला निपट चुका है।