लेकिन सोमवार को उनकी 101वीं जयंती कार्यक्रम में महज मुट्ठी भर लोग ही केदार चौक पर पहुंचे और पुष्पांजलि कर वापस लौट आए। जननायक केदार नाथ अविवाहित थे, उन्होंने अपने जीवनकाल में कभी परिवारवाद को बढ़ावा नहीं दिया। यही वजह रही कि उनके निधन होने के 27 साल बाद भी उनके परिवारिक सदस्य ने किसी भी चुनाव में सक्रिय भूमिका नहीं निभाई है। देश में जब वर्ष 1977 में आपातकाल लगा था तब भी शर्मा जनता पार्टी से जीते और राज्य सरकार में गृह मंत्री रहे। वर्ष 1990 में आयोजना मंत्री के रूप में काम किया। 27 मार्च1993 को जब उनकी मृत्यु हुई तब उनके बैंक में महज एक हजार रुपए ही मिला। अविवाहित और सादा विचार रखने वाले इस जननायक के आखिर सफर में सीएम तक शामिल हुए। शव यात्रा में करवां इतना बढ़ा कि यह तीन किमी पार कर गया था। छह बार विधायक बनने का रिकॉर्ड शर्मा के नाम रहा है। वर्ष १९६२ से १९८० तक और १९८५ से १९९३ तक विधायक रहे, वर्ष १९८० में खुद चुनाव नहीं लड़ा था।
केदार मंच ने किया याद जननायक की 101वीं जयंती पर गोलबाजार के केदार चौक पर उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पाजंलि कार्यक्रम केदार मंच की ओर से आयोजित किया गया। मंच अध्यक्ष कुलदीप सिंह केपी ने बताया कि इस कार्यक्रम में दलबारा सिंह बराड, हरि किशन कपिल, तेज प्रताप यादव, शंकर असवाल, महेश पेड़ीवाल, निशा कपूरिया, नरेश कपूरिया, गोगी गुप्ता,जुगल किशोर बंसल, मनोज कपिल, प्रदीप चौधरी, भंवर बोयत,नरेश सेतिया आदि मौजूद थे।
केदार मंच ने किया याद जननायक की 101वीं जयंती पर गोलबाजार के केदार चौक पर उनकी आदमकद प्रतिमा पर पुष्पाजंलि कार्यक्रम केदार मंच की ओर से आयोजित किया गया। मंच अध्यक्ष कुलदीप सिंह केपी ने बताया कि इस कार्यक्रम में दलबारा सिंह बराड, हरि किशन कपिल, तेज प्रताप यादव, शंकर असवाल, महेश पेड़ीवाल, निशा कपूरिया, नरेश कपूरिया, गोगी गुप्ता,जुगल किशोर बंसल, मनोज कपिल, प्रदीप चौधरी, भंवर बोयत,नरेश सेतिया आदि मौजूद थे।