श्रीगंगानगर में 64 ऑटो टीपर की खरीद की जांच की गुत्थी उलझी

The investigation into the purchase of 64 auto tippers in Sriganganagar complicated- नगर परिषद प्रशासन के लिए पौने चार करोड़ रुपए में खरीदे ऑटो टीपर बने गलफांस

<p>श्रीगंगानगर में 64 ऑटो टीपर की खरीद की जांच की गुत्थी उलझी</p>
श्रीगंगानगर. नगर परिषद के गैराज में विभिन्न वाडोज़् से कचरा संग्रहित कर डपिंग प्वाइंट पर डालने के लिए खरीदे गए 64 ऑटो टीपर अब दम तोडऩे लगे है। इन ऑटो टीपर का इस्तेमाल नहीं होने के कारण जंग खाने लगे है।
वहीं कई ऑटो टीपर की लगी बैटरियां भी खराब होने लगी है। नगर परिषद प्रशासन चाहकर भी इन ऑटो टीपर का इस्तेमाल नहीं कर रहा है। चार करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए इन ऑटो टीपर के इस्तेमाल के लिए अब स्वायत्त शासन विभाग जयपुर के निदेशक से मागज़्दशज़्न मांगा गया है।
पिछले सात महीने से इन ऑटो टीपर को नगर परिषद के गैराज में खड़ा करवा दिया गया है। पहले इन ऑटो टीपर को एक वाहन निमातज़ कंपनी के शोरूम के गैराज में खड़े करवाए गए थे लेकिन इस शेारूम संचालक ने इन टीपरों को नगर परिषद भिजवा दिया था।
वहीं निमातज़ कंपनी को अभी तक नगर परिषद प्रशासन से इन ऑटो टीपर की राशि 3 करोड़ 84 लाख रुपए का भुगतान अभी तक नहीं मिला है। इस खरीद फरोख्त में गड़बड़ी का आरोप लगाते हुए नगर परिषद की नेता प्रतिपक्ष बबीता गौड़ ने जिला प्रशासन और एसीबी में शिकायत की थी।
जिला प्रशासन ने इस प्रकरण की जांच तत्कालीन एडीएम डा. गुंजन सोनी को सौंपी थी। सोनी ने इस खरीद मामले में नगर परिषद प्रशासन को दोषी माना था।

जांच रिपोटज़् में खरीद को माना था नियम विरुद्ध ततकलीन एडीएम सोनी ने अपनी जांच रिपोटज़् में बताया था कि तत्कालीन आयुक्त और सभापति ने वषज़् 2019-20 के बजट में प्रावधान नहीं होने के बावजूद वित्तीय वषज़् 2020-21 में इतने सारे वाहन खरीदने के लिए कवायद की।
यहां तक कि बीएस-4 मॉडल के ऑटो टीपर की वैधता 31 माचज़् 2020 थी, इसके बाद इन ऑटो टीपर का पंजीयन नहीं हो सकता। यह बकायदा सुप्रीम कोटज़् ने अपने निणज़्य में उल्लेख भी किया। इसके बावजूद इस मॉडल के ऑटोटीपर खरीद किए गए। इस पर तत्कालीन एडीएम ने नियम कायदों की अनदेखी कर ऑटो टीपर की खरीद को नियम विरूद्ध किया गया। इस रिपोटज़् में बताया कि ऑटो टीपर वाहनों की सुपुदज़्गी से पहले ही नगर परिषद प्रशासन ने वाहन निमातज़ कंपनी से चेसिस नम्बर फामज़् प्राप्त कर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए जिला परिवहन अधिकारी को भिजवाए गए जबकि फमज़् की वास्तविक सप्लाई 15 जुलाई 2020 तक करने के लिए निवेदन किया गया। इसकी स्वीकृति भी नगर परिषद द्वारा जारी की गई।
नगर परिषद की ओर से यह कायज़् में मनमाने ढंग से बोलियां जारी की जाकर सुप्रीम कोटज़् की रोक 31 माचज़् 2020 तक ही बीएस-4 मॉडल खरीदने की अनुमति को भी अपने प्रभाव का इस्तेमाल करते हुए वास्तविक रूप से वाहन प्राप्त किए बिना वाहन का रजिस्ट्रेशन 31 माचज़् 2020 से पूवज़् करवाना प्रस्तावित किया गया जो न केवल नियमो की अवहेलना है साथ ही उच्चतम न्यायालय के निणज़्य का उल्लंघन है।
इन ऑटो को खरीदने के लिए नगर परिषद ने अलग अलग आठ टैण्डर की प्रक्रिया अपनाई जबकि लोक उपायन में पारदशिज़्ता अधिनियम 2012 व नियम 2013 के विरुद्ध एक ही प्रकृति कायज़् के लिए कायज़् को विभाजित किए जाने पर रोक है।
इसके बावजूद अलग अलग निविदा जारी की। जांच रिपोटज़् के अनुसार अलग अलग निविदा जारी करना वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।

पचास लाख रुपए से अधिक के कायोज़् या वाहन या अन्य निमाज़्ण आदि का बजट खचज़् करना होता है तो उसकी बकायदा डीएलबी से अनुमति मांगी जाती है लेकिन पचास-पचास लाख रुपए के बजट के आठ टैण्डर की रूपरेखा तैयार की।
प्रत्येक ऑटो टीपर की कीमत करीब सवा छह लाख रुपए आंकी। इधर, नगर परिषद में नेता प्रतिपक्ष बबीता गौड़ का कहना है कि नियमों के विपरीत ऑटो टीपर खरीद मामले में शिकायत की समय अवधि करीब एक साल से अधिक हो चुकी है।
अब तक न एफआईआर दजज़् हुई और न ही कोई एक्शन। यहां तक कि छह माह पहले जिला प्रशासन ने नगर परिषद को दोषी भी माना। यदि विक्रेता फमज़् भुगतान मांगेगी तो नगर परिषद को यह आथिज़्क नुकसान किसका होगा, इस पर कारज़्वाई होनी चाहिए। पूरे मामले की जांच के बाद एफआईआर भी दजज़् हो।
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