लेकिन दोषी तत्कालीन सरपंचों, ग्राम सचिवों, पंचायत समिति के विकास अधिकारियों ने रिकवरी राशि 70 लाख रुपए से अधिक की रकम जमा कराने की बजाय पत्र व्यवहार से इस फाइल को ठंडे बस्ते में डलवा दिया गया है।
वहीं प्रदेश के ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज विभाग ने दो साल पहले जिला परिषद के मुख्य कायज़्कारी अधिकारियों को संबंधित सोलर लाइटों के रखरखाव का अनुबंध पांच साल करने के लिए संबंधित ठेका फमोज़् को पाबंद करने के लिए आदेश जारी किया था लेकिन इस आदेश के बावजूद ठेका फमोज़् से अनुबंध नहीं किया।
नतीजन अधिकांश सोलर लाइटें खराब हो चुकी है तो कई जगह तो ये लाइटें चोरी भी हो गई है। वहीं कई लाइटों को कबाड़ मानकर स्टोर में रखवा दिया गया है। जिला परिषद प्रशासन के रेकॉड में यह आंकड़ा अब तक नहीं आया कि कितनी लाइटें खराब है तो कितनी नाकारा हो चुकी है।
ग्रामीण क्षेत्रों को रोशनी से जगमग करने की इस योजना के तहत सरपंचों और ग्राम सेवकों के निजी हित को देखते हुए सरकार के रुपए में की गई बंटरबांट को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि ये गांव के विकास को लेकर कितने गंभीर हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों को रोशनी से जगमग करने की इस योजना के तहत सरपंचों और ग्राम सेवकों के निजी हित को देखते हुए सरकार के रुपए में की गई बंटरबांट को देखकर अनुमान लगाया जा सकता है कि ये गांव के विकास को लेकर कितने गंभीर हैं।
सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में सोलर लाइटें लगाने के लिए सरपंचों और ग्राम सेवकों को अधिकृत किया था। जिले के अधिकतर ब्लाकों में आज तक लाइटें नहीं लगाई गईं। कुछ जगहों पर लाइटें लगाई भी गईं वह सरकार की ओर से निधाज़्रित दर से कई अधिक महंगी खरीदी गईं है।
सरकार ने सोलर लाइट खरीद के लिए 21 हजार 800 रुपए की अनुमति जारी की थी, लेकिन ब्लाकों में इस राशि से कई महंगी लाइटें खरीदी गई। बाजार में इन लाइटों का दाम 21 हजार रुपए था लेकिन ग्राम पंचायतों ने बिल में 35 से 39 हजार रुपए प्रति लाइट की दर से खरीद की।
धांधली इलाके में एक ही ठेका फमज़् पर सोलर लाइटें खरीदने के लिए जिला परिषद और पंचायत समिति के अधिकारियों की मेहरबानी रही। एक उच्च अधिकारी के चेहते की इस ठेका फमज़् को अप्रत्यक्ष रूप से लाभांवित किया गया।
धांधली इलाके में एक ही ठेका फमज़् पर सोलर लाइटें खरीदने के लिए जिला परिषद और पंचायत समिति के अधिकारियों की मेहरबानी रही। एक उच्च अधिकारी के चेहते की इस ठेका फमज़् को अप्रत्यक्ष रूप से लाभांवित किया गया।
इस फमज़् ने श्रीगंगानगर, सूरतगढ़, श्रीकरणपुर और रायसिंहनगर क्षेत्र में सोलर लाइटें लगाई। इस कारण श्रीगंगानगर पंचायत समिति को 34 लाख 81 हजार 886 रुपए, सूरतगढ़ पंचायत समिति को 10 लाख 26 हजार 600 रुपए, श्रीकरणपुर पंचायत समिति को 9 लाख 51 हजार रुपए और रायसिंहनगर पंचायत समिति को 15 लाख 73 हजार रुपए की रिकवरी राशि जिला परिषद को जमा करवानी है लेकिन जिला परिषद से इन पंचायत समिति के विकास अधिकारियों के नाम से पत्र व्यवहार किया जा रहा है, राशि जमा नहीं हो रही है।
जिला परिषद प्रशासन ने ग्राम पंचायतों में ब्रांडेड कंपनियों की सोलर लाइटें खरीद के लिए अनुमति दी थी। लेकिन तत्कालीन सरपंचों, ग्राम सचिवों और पंचायत समिति के बीडीओ ने लोकल स्तर की फमोज़् से ही कोटेशन मंगवाकर मनमाने दामों पर सोलर लाइटों की खरीद कर ली।
जिला परिषद प्रशासन ने ग्राम पंचायतों में ब्रांडेड कंपनियों की सोलर लाइटें खरीद के लिए अनुमति दी थी। लेकिन तत्कालीन सरपंचों, ग्राम सचिवों और पंचायत समिति के बीडीओ ने लोकल स्तर की फमोज़् से ही कोटेशन मंगवाकर मनमाने दामों पर सोलर लाइटों की खरीद कर ली।
यहां तक कि इन ग्राम पंचायतों ने सोलर लाइट की खरीद के लिए टैण्डर स्टेट लेवल की बजाय लोकल लेवल अखबारों में ही विज्ञापन प्रकाशित करवाएं ताकि सोलर लाइट बेचान करने वाली कंपनियों से संपकज़् नहीं करना पड़े।