इसका असर इतना अधिक हुआ है कि मैरिज पैलेस संचालक अब केन्द्र और राज्य सरकारों से पचास व्यक्तियों के आयोजन की अनुमति का आग्रह कर रहे है ताकि शादियों के कारोबार का वजूद बना रहे। इन वैवाहिक कार्यक्रम आयोजित करने से लोगों को रोजगार मिलता भी रहे। कोरोना संक्रमणकाल से जिले में करीब ढाई हजार वैवाहिक कार्यक्रम ठप होने से करीब अस्सी करोड़ रुपए का नुकसान हो गया है। जिले में करीब एक सौ से अधिक मैरिज पैलेस है।
प्रत्येक मैरिज पैलेस में बीस से पच्चीस वैवाहिक कार्यक्रमों की बुंकिंग थी, वह निरस्त हो गई है। मैरिज पैलेस के अलावा धर्मशालाओं और विभिन्न सामुदायिक केन्द्रों पर भी शादियां होने थी। इनका आकलन अब तक नहीं हो पाया है। इन शादियों के कार्यक्रम में हलवाई, कैटरीन, इलैटिशयन, डीजे साउण्ड, टेंट, वैटर, फूलों और अन्य आइटम से सजावट करने वाले, फल-सब्जी, दूध, राशन सप्लाई करने वालों भी अब ठाले बैठने को मजबूर है।
शादी कारोबार से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि हर वैवाहिक कार्यक्रम में वैटर की जरुरत रहती है। एक शादी में दस वैटर औसतन माने तो जिले में ढाई हजार शादियों के निरस्त होने से करीब पच्चीस हजार वेटरों को रोजगार नहीं मिल पाया।
शादी कारोबार से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि हर वैवाहिक कार्यक्रम में वैटर की जरुरत रहती है। एक शादी में दस वैटर औसतन माने तो जिले में ढाई हजार शादियों के निरस्त होने से करीब पच्चीस हजार वेटरों को रोजगार नहीं मिल पाया।
वहीं हलवाई और उनके हैल्पर करीब बीस हजार, केटरीन सुविधा देने वाले करीब पन्द्रह हजार, इलैक्ट्रिशयन करीब चार हजार, टेंट लगाने वाले करीब चार हजार, फूल और अन्य आइटम से सजावट करने वाले दस हजार, सब्जी और फल सप्लाई करने वाले तीन हजार, डीजे साउण्ड वाले करीब पांच हजार, बारात में दूल्हे का रथ और लाइटिंग करने वाले करीब पांच हजार, वीडियोग्राफर और फोटोग्राफी करने वाले करीब छह हजार, दूध की आपूर्ति करने वाले ढाई हजार लोगों को काम ही नहीं मिला।
इसके अलावा राशन सामग्री वाले दुकानदार, फेरो कराने वाले पंडित, ढोल बजाने वाले करीब आठ हजार लोग भी ठाले बैठने को मजबूर हुए है।
इस बीच मैरिज पैलेस एसोसिएशन अध्यक्ष जुगल डूमरा का कहना है कि लॉक डाउन में शादियों के कारोबार से जुड़े हर व्यक्ति को ठाले बैठने को मजबूर कर दिया है।
इस बीच मैरिज पैलेस एसोसिएशन अध्यक्ष जुगल डूमरा का कहना है कि लॉक डाउन में शादियों के कारोबार से जुड़े हर व्यक्ति को ठाले बैठने को मजबूर कर दिया है।
अर्थ व्यवस्था में अप्रत्यक्ष रूप से सक्रिय भूमिका निभाने वाले इस कारोबार को ऑक्सीजन देने के लिए सरकार शादियों के आयोजन की अनुमति सिर्फ मैरिज पैलेस से कराए, इससे मॉनीटरिंग भी रहेगी। वहीं हाशिए पर चल रही बेरोजगारी की समस्या भी दूर हो सकेगी। इस कारोबार में टैंट, लाइट, साउंड, कैटरिंग, फोटोग्राफर, फूल विक्रेता, बैंड, लवाजमा, हलवाई शामिल है।
पचास व्यक्तियों के शादियों के आयोजन की अनुमति मैरिज पैलेस में कराने से यह भी पता चल सकेगा कि सरकार की गाइड लाइन की पालना हुइ है या नहीं। नहीं हुई तो पैलेस को सीज किया जा सकता है। घरों या अन्य जगह कराने से पता नहीं चल सकेगा कि आयोजन में कितने लोग आए या सोशल डिस्टेंस की पालना हुई या नही। पूरा रिकॉर्ड रखने के लिए पैलेस संचालक तैयार है।