दूसरे प्रयास में फेंका था 87.58 मीटर का थ्रो
टोक्यो से भारत लौटने के बाद पदक विजेताओं के लिए आयोजित सम्मान समारोह में नीरज ने कहा कि वह जानते थे कि दूसरी कोशिश में वह कुछ खास करने वाले थे। दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंका, जिसने उन्हें गोल्ड मेडल दिलाया। इस थ्रो की वजह से ही भारत को एथलेटिक्स में पहला ओलंपिक मेडल मिला। नीरज ने फाइनल राउंड में अपने प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा,’मुझे पता था कि मैंने कुछ खास किया है, वास्तव में मुझे लगा था कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ हासिल कर लिया।’
टोक्यो से भारत लौटने के बाद पदक विजेताओं के लिए आयोजित सम्मान समारोह में नीरज ने कहा कि वह जानते थे कि दूसरी कोशिश में वह कुछ खास करने वाले थे। दूसरे प्रयास में नीरज ने 87.58 मीटर भाला फेंका, जिसने उन्हें गोल्ड मेडल दिलाया। इस थ्रो की वजह से ही भारत को एथलेटिक्स में पहला ओलंपिक मेडल मिला। नीरज ने फाइनल राउंड में अपने प्रदर्शन का जिक्र करते हुए कहा,’मुझे पता था कि मैंने कुछ खास किया है, वास्तव में मुझे लगा था कि मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ हासिल कर लिया।’
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नीरज चोपड़ा ने बताया कि गोल्ड मेडल जीतने के अगले दिन सुबह उनके शरीर में बहुत तेज दर्द हो रहा था, लेकिन गोल्ड मेडल जीतने के उत्साह के सामने उस दर्द को सहन करने में कोई परेशानी नहीं थी। नीरज ने कहा कि यह पदक पूरे देश के लिए है। नीरज ने बताया कि मेडल जीतने के बाद से न तो वह सही से सो सके हैं और न ही खा सके हैं। लेकिन जब भी मेडल को देखते हैं तो सब सही लगता है। सम्मान समारोह के दौरान नीरज ने अपना गोल्ड मेडल सभी को दिखाते हुए कहा कि यह मेडल पूरे देश का है।
नीरज चोपड़ा ने बताया कि गोल्ड मेडल जीतने के अगले दिन सुबह उनके शरीर में बहुत तेज दर्द हो रहा था, लेकिन गोल्ड मेडल जीतने के उत्साह के सामने उस दर्द को सहन करने में कोई परेशानी नहीं थी। नीरज ने कहा कि यह पदक पूरे देश के लिए है। नीरज ने बताया कि मेडल जीतने के बाद से न तो वह सही से सो सके हैं और न ही खा सके हैं। लेकिन जब भी मेडल को देखते हैं तो सब सही लगता है। सम्मान समारोह के दौरान नीरज ने अपना गोल्ड मेडल सभी को दिखाते हुए कहा कि यह मेडल पूरे देश का है।
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वहीं नीरज ने देश के सभी खिलाड़ियों को मैसेज देते हुए कहा कि कभी भी डरो नहीं। विरोधी चाहे कोई भी हो, हमेशा अपना बेस्ट दो। साथ ही नीरजे ने कहा कि मुकाबले में उनके सामने कई बड़े-बड़े खिलाड़ी थे, लेकिन उन्हें खुद पर भरोसा था। इस वजह से उनको कामयाबी मिली। नीरज चोपड़ा ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले 13 साल में पहले भारतीय खिलाड़ी के अलावा ट्रैक एवं फील्ड में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय भी बने।
वहीं नीरज ने देश के सभी खिलाड़ियों को मैसेज देते हुए कहा कि कभी भी डरो नहीं। विरोधी चाहे कोई भी हो, हमेशा अपना बेस्ट दो। साथ ही नीरजे ने कहा कि मुकाबले में उनके सामने कई बड़े-बड़े खिलाड़ी थे, लेकिन उन्हें खुद पर भरोसा था। इस वजह से उनको कामयाबी मिली। नीरज चोपड़ा ओलिंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले 13 साल में पहले भारतीय खिलाड़ी के अलावा ट्रैक एवं फील्ड में स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय भी बने।