एबीपी की रिपोर्ट के अनुसार, देश में सिले हुए झंडे सबसे ज्यादा बंगाल में ही बनते हैं और बड़ा बाजार से सप्लाई होते हैं। वहीं इस वर्ष बंगाल में 16 अगस्त से खेला होबे दिवस होगा। इसकी वजह से भी तिरंगे के काफी ऑर्डर दिए गए हैं। वहीं इसके अलावा भारत की आजादी के 75वें वर्ष की वजह से भी राष्ट्रीय ध्वज की डिमांड में काफी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, बड़ा बाजार के एक विक्रेता का कहना है कि इस वर्ष राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री बढ़ गई है, क्योंकि देश में स्वतंत्रता का 75वां वर्ष मनाया जा रहा है और देश ने ओलंपिक में भी स्वर्ण पदक जीता है।
रिपोर्ट के अनुसार, बंगाल के एक विक्रेता ने बताया कि इस बार राष्ट्रीय ध्वज की बिक्री बढ़ने के कारण आजादी की 75वीं वर्षगांठ के अलावा 16 अगस्त को होने वाला खेला होबे दिवस भी है। विक्रेमा का कहना है कि राजनीतिक पार्टियां सीपीआईएम, कांग्रेस, बीजेपी, टीएमसी हर कोई झंडे खरीद रहा है। ऐसे में इस बार इनकी बिक्री बढ़ गई है। वहीं पिछले वर्ष लॉकडाउन की वजह से झंडों की बिक्री नहीं हो पाई थी, लेकिन इस बार लॉकडाउन में छूट मिलने के कारण इनकी बिक्री बढ़ी है।
वहीं इस वर्ष झंडों की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, थोक में 4 फीट का झंडा लगभग 75 रुपए का हुआ करता था। अब इसकी कीमत लगभग 85 रुपए हो गई है। विक्रेताओं का कहना है कि झंडे की कीमतों में वृद्धि कच्चे माल की लागत बढ़ने की वजह से हुई है। रिपोर्ट के अनुसार, चार फुट के झंडे 10 रुपए और तीन फुट के झंडे 4 रुपए तक महंगे हो गए हैं। वहीं छोटे झंडों की बात करें तो उनकी कीमतों में भी 3 से 4 रुपए तक की वृद्धि हुई है।