WILDLIFE : आपको भी जाननी चाहिए वन्यजीव संरक्षण की ये 10 कहानियां

-नेचर एंड वाइल्डलाइफ : दुनिया की करीब 1500 वन्यजीव प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।
About 1500 wildlife species of the world are on the verge of extinction.

<p>ग्रे व्हेल</p>
जयपुर. प्रकृति, पर्यावरण, वन और जीवन में किसी भी हिस्से को अलग नहीं किया जा सकता। कोरोनाकाल में इस बहस ने जोर पकड़ा कि आपदा ने भले ही इंसान को मुश्किल में डाला, लेकिन वन्यजीवन के बंधन खोल दिए। महामारी ने प्राकृतिक परिवेश को कुछ समय के लिए दखलमुक्त किया तो कार्बन उत्सर्जन का स्तर भी गिरा। लेकिन ये दीर्घकालीन उपाय नहीं है। आज भी दुनिया की करीब 1500 वन्यजीव प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं। विलुप्त होती वन्यजीवों की कई प्रजातियों को बचाने के लिए दुनियाभर में किए गए प्रयास सार्थक होते नजर आ रहे हैं। जानिए ऐसे ही कुछ उपायों पर ये रिपोर्ट-
1. उत्पादों पर प्रतिबंध : 19वीं और 20वीं सदी के बीच करीब 20 लाख व्हेल का शिकार किया गया। नतीजतन व्हेल की 13 प्रजातियों में हंपबैक जैसी छह प्रजातियां विलुप्त होने के कगार पर पहुंच गई। 1986 में कई देशों ने व्हेल से बने उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया। अब लुप्तप्राय ग्रे व्हेल और हंपबैक भी खूब नजर आने लगी हैं।
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2. अध्ययन केंद्र स्थापित : तापमान बढऩे से लाल सागर में प्रवाल भित्ति नष्ट हो रही हैं। प्रवाल से शैवाल को बाहर निकलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। अब इन प्रवाल भित्तियों को बचाने के लिए स्विटजरलैंड में एक अध्ययन केंद्र स्थापित किया है, जिसमें इजराइल के साथ मिस्र, सऊदी अरब, यमन आदि देशों के वैज्ञानिक सहयोग कर रहे हैं।
3. कीटनाशकों पर प्रतिबंध : पांच दशक पहले अमरीका का राष्ट्रीय पक्षी बाल्ड ईगल विलुप्त होने की कगार पर पहुंच गया था। 1972 फसलों में डीडीटी पाउडर जैसे कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 1995 तक बाल्ड ईगर लुप्तप्राय से खतरे की सूची में आ गया। लेकिन निरंतर प्रयासों के बाद 2007 में उसे इस सूची से बाहर निकाल दिया।
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4. पांडा के लिए टै्रकिंग : वर्ष 1970 में विश्व में महज एक हजार पांडा थे। इसके बाद 1979 में डब्लूडब्लूएफ (वल्र्ड वाइड फंड फॉर नेचर) ने चीन के साथ एक समझौता किया। क्योंकि सिचुआन प्रांत में 50 फीसदी पांडा कम हो गए थे। चीनी वन मंत्रालय ने डब्लूडब्लूएफ से मिलकर टै्रकिंग शुरू की। इसके बाद पांडा विश्व में संरक्षण का प्रतीक बन गया।
5. अनुकूल वातावरण बनाया : बीवर ब्रिटेन में 400 वर्षों से विलुप्त माना गया, लेकिन 2008 में यह ब्रिटेन के डेवन शहर के पास देखे गए। इसके बाद इनके लिए अनुकूल वातावरण तैयार किया गया। आज यहां काफी संख्या में बीवर हैं। इनके बनाए बिलों से ऊद बिलाव और जलीय पक्षियों का बसेरा बढ़ गया। इससे मिट्टी का कटाव भी रुका।
6. भारत में बाघ बढ़े : एक सदी पहले पृथ्वी पर एक लाख बाघों का अनुमान है। 2010 में इनकी संख्या महज 3200 रह गई। 2022 तक भारत सहित 13 देशों ने इनकी आबादी दोगुना करने का लक्ष्य रखा है। भारत में संरक्षण के प्रयासों से पिछले पांच वर्ष में इनकी आबादी 33 फीसदी बढ़ी है। इस वक्त देश में 2967 बाघ हैं। मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 526 बाघ हैं।
7. ऐसे बचे पहाड़ी गोरिल्ला : 20वीं सदी के अंत में पहाड़ी गोरिल्ला के विलुप्त होने की आशंका बनी थी, लेकिन पूर्वी अफ्रीका के विरुंगा मासिफ में संरक्षण के प्रयासों के कारण इसे रोक लिया गया। 2010 से अब तक करीब 200 गोरिल्ला बढकऱ 670 हो गए हैं। दुनिया में करीब एक हजार ही पहाड़ी गोरिल्ला हैं। ये काफी संवेदनशील प्राणी है।
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8. अधिनियम से हिफाजत : ब्राउन पेलिकन भी 1970 के दशक तक अमरीका से गायब होने लगे। बाल्ड ईगल की तरह इन्हें भी कीटनाशक ने लुप्त होने की कगार पर ला दिया। लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम के तहत इन्हें संरक्षण प्रदान किया गया। 1985 तक इन्हें लुप्तप्राय प्रजाति से बाहर कर दिया। 2007 में अकेले लुइसियाना में 27 हजार चूजे गिने गए।
9. फिर बढ़े ग्रे भेडिय़े : कभी उत्तरी अमरीका में 20 लाख ग्रे भेडिय़े की संख्या एकाएक कम होने लगी और 1960 में विस्कॉन्सिन और मिनीसोटा के जंगलों में महज 300 रह गए। 1974 में लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम के बाद इनके संरक्षण को बल मिला। आज अमरीका के 48 राज्यों में 5443 ग्रे भेडिय़े हैं।
10 . शिकार पर रोक : अमरीका के पश्चिमी तट पर रहने वाले स्टेलर यानी समुद्री शेर समुद्री जाल, तटों पर होने वाली ड्रिलिंग और अवैध शिकार के चलते खत्म होने के कगार पर पहुंच गए। 1979 में इनकी संख्या 18 हजार थी, लेकिन संरक्षण के प्रयास रंग लाए और अब करीब 70 हजार स्टेलर लॉयन हो गए हैं।
दशकों से विलुप्त, फिर नजर आए : ऑस्ट्रेलियन नाइट पैरेट, बरमूडा पेट्रल, क्यूबाई सोलेंडन, टेरर स्किंक (फ्रांस), एलिफेंट स्रू, तथा रेड काइट्स, यूरोपीयन बायसन
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