हम क्या कर सकते हैं
व्यक्तिगत रूप से हम सभी बड़ा बदलाव ला सकते हैं। थ्रेडअप जैसी कुछ वेबसाइट पर ऐसे ब्रांड्स की जानकारी उपलब्ध हैं जो पुराने और रिसाइकिल कपड़ों से बने हैं। इनमें से कई कपड़े तो २० साल पुराने रिसाइकिल कपड़ों से बने हो सकते हैं। रिसेल, रिसाइकिल और पुराने कपड़ों को पहनकर हम धरती को नष्ट होने से बचा सकते हैं।
पुराने कपड़ों के फायदे
कैरेन टाउलोन ने पति के लिए एक रिसाइकिल सूट पसंद किया। 20 फीसदी डिस्काउंट के बाद यह 180 डॉलर का पड़ा। रियल-रियल साइट के अनुसार इस पुराने सूट की खरीदारी से कैरेन ने पैसों के साथ ही एक सूट बनाने में खर्च होने वाला 241 लीटर पानी और करीब 70 किमी कार चलाने जितना कार्बन फुटप्रिंट भी बचा लिया।
‘फास्ट फैशन’ समस्या
आज फैशन सामाजिक प्रतिष्ठा बन गया है। फास्ट फैशन ऐसे ट्रेंडी कपड़े हैं जो सस्ते दामों में सभी की पहुंच में हों। इसलिए अब लोग 60 फीसदी ज्यादा कपड़े खरीदने लगे हैं। हर साल 35,618 अरब रुपए मूल्य के कपड़े रिसाइकल (Recycle) नहीं करने से नष्ट हो जाते हैं। जो कपड़े उपयोग में नहीं ले रहे हैं उन्हें जरुरतमंदों को दे दीजिए। कपड़ा थोड़ा बहुत कट या फट गया है तो उसे फेंकने की बजाय रफू कर लीजिए। कपड़ों की उतनी ही खरीदारी कीजिए जितनी जरुरत हो। कई ऐसे देश हैं जहां लोग खरीदे गए 40 फीसदी कपड़ों को जीवन में कभी पहनते ही नहीं हैं।
वो कारण जो चौंकाते हैं
2020 के अंत तक फैशन उद्योग 3200 करोड़ रुपए का बाजार बनने जा रहा है। 20 फीसदी केमिकल, 5 लाख टन सिंथेटिक माइक्रोफाइबर कचरे का सालाना उत्पादन करता है। 24 फीसदी कीटनाशकों और 11 फीसदी पेस्टीसाइड के लिए भी फैशन उद्योग ही जिम्मेदार है। अमरीकन लेखक स्टीफन लेह्य की किताब ‘योर वॉटर फुटप्रिंट’ के अनुसार एक जींस और टी-शर्ट का जोड़ा बनाने में 12,900 लीटर से ज्यादा पानी खर्च होता है। यूनाइटेड नेशन्स एनवायरमेंटल प्रोग्राम के मुताबिक एक सामान्य अमरीकी का प्रतिदिन औसतन वॉटर फुटप्रिंट 8000 लीटर पानी है।
दुनिया भर में इसलिए ‘प्री-ओंड’ कपड़ों की बढ़ रही है मांग
-20 % पानी सिर्फ कपड़ों को रंगने में ही खर्च हो जाता है दुनियाभर में (विश्व बैंक के अनुसार)
-30 % तक कार्बन फुटप्रिंट कम से कम 9 महीने तक कपड़े पहने से कम कर सकते हैं
-40 % खरीदे नए कपड़े विकसित देशों में लोग कभी नहीं पहनते हैं
-50 % ग्रीन हाउस गैसों में वृद्धि होगी 2030 तक फैशन इंडस्ट्री के कारण