एनिमल बिहेवियर: बीमार होने पर चमगादड़ भी ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ का करते हैं पालन

हाल ही ऑस्ट्रेलिया के वैज्ञानिकों ने गुफा चमगादड़ों से जुड़ा एक हैरान करने वाला व्यवहार का पता लगाया है, बीमार या संक्रमित होने पर वे खुद को अन्य सदस्यों से अलग कर लेते हैं। यह दर्शाता है कि ये जीव भी वायरस से कितना घबराते हैं।

<p>एनिमल बिहेवियर: बीमार होने पर चमगादड़ भी &#8216;सोशल डिस्टेंसिंग&#8217; का करते हैं पालन</p>
बीते साल चीन (china) से निकले कोविड-19 वायरस (covid-19 virus) ने एक महामारी (pandemic) के रूप में आज पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। वैज्ञानिक और लगभग सारी दुनिया गुफाओं में रहने वाले चमगादड़ों की विशालकाय प्रजाति केव बैट्स (Cave Bats or grey headed “flying fox” bats) को इस वायरस के प्रसार का कारण मानती हैं। लेकिन हाल ही वैज्ञानिकों ने इन चमगादड़ों के व्यवहार (behaviour) से जुडी़ एक बहुत ही विचित्र हरकत का पता लगाया है। इन शोधकर्ताओं का दावा है कि ये उड़ने वाले निशाचर जीव भी इस वायरस से डरते हैं और बीमार या संक्रमित होने पर खुद को झुंड से अलग कर लेते हैं। ठीक वैसे ही जैसे इंसान कोरोना महामारी में आइसोलेशन (Isolation) और सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing) का पालन कर रहा है। हालांकि वैज्ञानिक अभी यह बता पाने में सक्षम नहीं है कि यह आइसोलेशन और सोशल डिस्टेंसिंग स्वैच्छिक है, मजबूरी है या झुंड का दबाव है।

वायरस के प्रसार को समझ सकेंगे
द इंडिपेंडेंट यूके (The Independent UK) में प्रकाशित इस शोध (Reasearch) के निष्कर्ष के अनुसार, इन चमगादड़ों के व्यवहार का अध्ययन करने के लिए इन्हें लैब में रखा गया था। यहीं पहली बार केव बैट्स के इस अनोखे व्यवहार की पहचान की गई जिसे वैज्ञानिकों को भी हैरान कर दिया था। यह खोज इस तथ्य पर रोशनी डाल सकती है कि आबादी में कोई रोगजनक वायरस कैसे फैलता है। इतना ही नहीं, यह ट्रांसमिशन दरों को भी कम कर सकता है क्योंकि स्वस्थ चमगादड़ संक्रमित साथियों से बचते हैं। यह व्यवहार सामाजिक कीड़ों के बीच भी देखा जा सकता है। अस्वस्थ ‘क्रिटर्स’ भी बीमार होने पर खुद को अलग कर लेते हैं। लेकिन ऐसा केवल कीड़े या चमगादड़ ही नहीं करते, वन्यजीवों की और भी बहुत सी प्रजातियां हैं जो बीमार होने पर व्यवहार में अजीब परिवर्तन दिखाती हैं।

चमगादड़ों का नया व्यवहार
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस (Oxfor University Press) ने इस नए अध्ययन को प्रकाशित किया है। इसमें शोधकर्ताओं ने 31 वयस्क मादा वैम्पायर चमगादड़ों को एक खोखले पेड़ के अंदर रखा। इन सभी चमगादड़ों को जनवरी में सिडनी के जंगलों में लगी भीषण आग के दौरान रेस्क्यू कर ऑस्ट्रेलिया में टारोंगा चिड़ियाघर के वन्यजीव अस्पताल लाया गया था। ये सभी घायल, बीमार और डरे हुए थे। शोधकर्ताओं ने आधे चमगादड़ों को प्रतिरक्षा-प्रणाली मजबूत करने वाला पदार्थ ‘लिपोपॉलेसेकेराइड’ ( immune-challenging substance called “lipopolysaccharide.) इंजेक्शन के जरिए लगाया था। फिर तीन दिनों के बाद, वैज्ञानिकों ने चमगादड़ पर सेंसर लगाए और उन्हें खोखले पेड़ों में वापस छोड़ दिया। वापस भेजे जाने के बाद, उन्होंने संक्रमित चमगादड़ों पर कड़ी नजऱ रखी। उन्हें पता चला कि बीमार चमगादड़ झुंड के बहुत कम सदस्यों के संपर्क में हैं। वे अपने साथियों के साथ बहुत कम समय बिता रहे थे।

अध्ययन में ये निष्कर्ष आए
शोधकर्ताओं ने पाया कि एक स्वस्थ चमगादड़ या ‘कंट्रोल बैट’ की झुंड के अन्य सदस्यों साथ घुलने-मिलने की संभावना 49 फीसदी थी लेकिन एक संक्रमित या बीमार सदस्य के साथ झुंड के सामाजिक जुड़ाव की केवल 35 फीसदी ही संभावना थी। अध्ययन के प्रमुख लेखक साइमन रिपर ने कहा कि सेंसर ने वैज्ञानिकों को इन चमगादड़ों के बारे में नई जानकारी दी कि कैसे दिन और रात के दौरान इन चमगादड़ों का सामाजिक व्यवहार घंटों यहां तक कि मिनट में बदल गया। जबकि वे एक खोखले पेड़ के अंधेरे में छिपे हुए हैं।

Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.