क्या आप जानते हैं आज के युवा अपने पिता या दादा की तुलना में शारीरिक ताकत में कमजोर हैं

शोध में सामने आया कि शारीरिक मेहनत और क्षमता में आज की पीढ़ी पुरानी पीढ़ी के समकक्ष भी नहीं ठहरती

<p>क्या आप जानते हैं आज के युवा अपने पिता या दादा की तुलना में शारीरिक ताकत में कमजोर हैं</p>
एक पुरानी कहावत है कि पुरुष का हाथ उसके व्यक्तित्त्व और काम के बारे में बहुत कुछ बताता है। मशीनीकरण और संसाधनों के इस दौर में युवा पीढ़ी शारीरिक श्रम से दूर होती जा रही है। इसका नतीजा उनकी शारीरिक क्षमता और ताकत पर भी पड़ रहा है। हाल ही हुए ‘जर्नल ऑफ हैंड थेरेपी’ (journal of hand therepy) के एक नए अध्ययन के अनुसार वर्तमान की युवा पीढ़ी (Millenial) 35 पहले अपनी हमउम्र के लोगों की तुलना में कमजोर हाथ और ताकत वाले हैं।
घट गई हाथों की ताकत
शोधकर्ताओं ने उत्तरी कैरोलाइना के अलग-अलग विश्वविद्यालयों में 20 से 34 साल के बीच के 237 पूर्णतया स्वस्थ और मजबूत कदकाठी के छात्रों पर शोध किया। शोध में छात्रों की शारीरिक ताकत को हथेली से किसी चीज को दबाना या निचोडऩा और अपनी दो उंगलियों को किसी चीज में धंसाने के आधार पर परखा गया। 20 से 34 साल के इन नौवजवानों ने परीक्षण में अपने दाहिने हाथ की हथेली से करीब 45 किलोग्राम की ताकत से सॉफ्ट बॉल को दबाया। जबकि 1985 में इतनी ही उम्र का एक औसत नौजवान करीब 53 किलोग्राम वजन के बराबर दबाव डाल सकता था।
क्या आप जानते हैं आज के युवा अपने पिता या दादा की तुलना में शारीरिक ताकत में कमजोर हैं
क्या आप जानते हैं आज के युवा अपने पिता या दादा की तुलना में शारीरिक ताकत में कमजोर हैं
काम की प्रकृति ने बदली ताकत
शोधकर्ताओं का कहना है कि 30 साल पहले के युवा पुरुषों-महिलाओं की तुलना में आज के युवाओं का यह कमजोर प्रदर्शन काम की प्रकृति बदलने के कारण है। दरअसल, 1980 के दशक में ज्यादातर पुरुष कारखानों, कंपनियों और दुकानों में ऐसे काम करते थे जिसमें शारीरिक मेहनत ज्यादा थी। जबकि तकनीक और मशीनीकरण ने आज इसे बदल दिया है। नियमित रूप से शारीरिक मेहनत कम होने से क्षमता में गिरावट आई है। यही वजह है कि ताकत घटने के अनुपात में उसका मोटापा भी बढ़ा है। हालांकि शोध में महिलाओं में इस तरह की गिरावट देखने को नहीं मिली। क्योंकि महिलाएं आज भी शारीरिक मेहनत कर रही हैं। वहीं 1980 के बाद से महिलाओं की श्रमशक्ति में भागीदारी भी बढ़ी है।
पिछले 30 वर्षों में महिलाओं की दैनिक शारीरिक गतिविधियों में बदलाव पुरुषों की तुलना में बहुत कम दिखाई देते हैं। शोध इस बात की ओर भी इशारा करते हैं कि घटती शारीरिक क्षमता और कम होती ताकत को ध्यान में रखते हुए आज की पीढ़ी को शारीरिक श्रम ज्यादा करने की जरुरत है।
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