AMAZING : कोरोना के डर से जापान में बंद होगी सदियों पुरानी ये परंपरा

-सोशल डिस्टेंसिंग में बाधा बन रही है ये प्रथा (This practice is becoming an obstacle in social distancing)
-जापान में 15477 मामले सामने आए हैं, जबकि 577 लोगों की जान जा चुकी है।

<p>जापान की मुहर या हैंको लगाने की परंपरा</p>
टोक्यो.
कोरोनावायरस यानी कोविड-19 के बचाव में सोशल डिस्टेंसिंग सबसे अचूक हथियार है। लेकिन दुनिया की कुछ प्रचलित प्रथाएं इसमें बाधा बनी हुई हैं। इन्हीं में है जापान की मुहर या हैंको लगाने की परंपरा। पिछले दिनों प्रधानमंत्री शिंजो आबे ने ने कुछ प्रथाओं को बदलने की अपील की है। इनमें हाथ से दस्तावेजों पर मुहर लगाना भी शामिल हैं। क्योंकि इस मुहर को वांछित स्थान पर खुद जाकर दिखाने के बाद ही प्रमाणित माना जाता है। इसकी वजह से लोगों को ट्रेनों में भीड़ के बीच सफर करना पड़ता है। आबे इस प्रथा को बंद कर सोशल डिस्टेंसिंग के जरिए 70 फीसदी तक लोगों को एक-दूसरे से मिलने पर रोकना चाहते हैं।
कोरोना पर नियंत्रण के बाद दक्षिण कोरिया ने दो वर्ष के लिए बनाई ये योजना

आबे के आदेश ही बन रहे बाधा
अभी आबे सरकार के आदेश ही सोशल डिस्टेंसिंग में बाधा बने हुए हैं। मौजूदा संकट को रोकने के लिए छोटे व्यवसायियों और अन्य वर्ग के लोगों को सब्सिडी के लिए आवेदन रोजगार कार्यालय में व्यक्तिगत पेश करने के लिए कहा गया है, जिससे संक्रमण का खतरा अधिक है। जापान में दस्तावेजों पर मुहर या ‘हैंको’ का प्रयोग सदियों से हो रहा है। ये लाल स्याही में लगाई जाने वाली मुहर है।
जानिए वो बातें हैं, जो कोरोना के जोखिम के बीच उम्मीद बनकर खड़ी हैं

वर्क फ्रॉम होम की अनिच्छा
जापान में घर से काम करने को लेकर भी लोग कम इच्छुक हैं। टोक्यो चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने पिछले माह फैक्स के जरिए किए एक सर्वे में पाया कि 1333 कंपनियों में महज 26 फीसदी ही घर से काम करवाने की इच्छुक हैं। जापान में अब सील के प्रयोग पर लोगों की कड़ी प्रतिक्रिया सामने आने लगी है। व्यापार लॉबी कीडरेन के प्रमुख हिरोकी नाकिनेसी ने कहा, सब कुछ इलेक्ट्रिॉनिक हस्ताक्षर से संभव है। आधुनिक दौर में पहचान और प्रमाणीकरण के लिए जहां अत्याधुनिक तकनीक सामने है, मुहर की उपयोगिता समझ से बाहर है।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.