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28 जुलाई, विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस: ये युवा महिलाएं बचा रहीं प्रकृति में बसी जैव विविधता

आज विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस (World Nature Conservation Day) है। जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता और पर्यावरणविदों से रुबरु करवा रहे हैं। पर्यावरण को संरक्षित करने में भारतीय युवा भी आगे आ रहे हैं।

जयपुरJul 28, 2020 / 01:57 pm

Mohmad Imran

28 जुलाई, विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस: ये युवा महिलाएं बचा रहीं प्रकृति में बसी जैव विविधता

ऐसी ही एक प्रकृति प्रेमी और पर्यावरण लेखिका हैं नेहा सिन्हा जो देश के अलग-अलग हिस्सों में जीव-जंतुओं की लुप्त होती प्रजातियों और महत्त्वपूर्ण जैव विविधता वाले क्षेत्रों के संरक्षण पर काम कर रही हैं। बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसायटी (BNHS)के साथ काम करने वाली नेहा दिल्ली विश्वविद्यालय (Delhi University)में पर्यावरण नीति पढ़ाती हैं। पांच साल पत्रकारिता के जरिए पर्यावरण से जुड़े गंभीर मुद्दे उठाने के बाद नेहा ने खुद ही इन चुनौतियों का समाधान ढूंढने का प्रयास शुरू कर दिया। उन्होंने नागालैंड में सामुदायिक प्रकृति संरक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की और इसके जरिए वे उत्तर-पूर्वी राज्यों के जंगल, सुंदरबन डेल्टा और एशिया के अन्य महत्त्वपूर्ण जैव विविधता वाले वन क्षेत्रों में प्रकृति संरक्षण का काम किया। वे बाज की लुप्तप्राय प्रजाति अमुर के संरक्षण में भी जुटी हुई हैं। इसके अलावा वे दुर्लभ प्रजाति के पेड़-पौधों, बाघ संरक्षण और प्रकृति के बारे में लोगों को जागरूक भी करती हैं।
डॉ. पूर्णिमा बर्मन: ग्रामीण महिलाओं को बनाया वनसंरक्षक
डॉ. पूर्णिमा देवी बर्मन एक प्रकृति संरक्षक और जीवविज्ञानी हैं। साल 2019 में 12 साल तक सारस की लुप्त होती प्रजाति ‘ग्रेटर एडजुटेंट स्टोर्क’ के संरक्षण के लिए उन्हें ‘ग्रीन ऑस्कर’ के रूप में जाना जाने वाला प्रतिष्ठित व्हिटले अवॉर्ड भी मिल चुका है। एक प्रकृति संरक्षणविद जीवविज्ञानी के नाते उनकी सेवाओं और उपलब्धियों के लिए वे महिलाओं को दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित नारी शक्ति पुरस्कार से भी सम्मानित की जा चुकी हैं।
28 जुलाई, विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस: ये युवा महिलाएं बचा रहीं प्रकृति में बसी जैव विविधता
उन्होंने ग्रामीण और जनजातीय महिलाओं का एक समूह ‘हरगीला आर्मी’ बनाई है। इनका काम जंगल में पेड़-पौधों की सुरक्षा करना और प्रकृति के संरक्षण के प्रति अन्य ग्रामीणों को जागरूक करना। इस समूह में अब ४०० से ज्यादा महिलाएं काम कर रही हैं। वे चीन, कम्बोडिया, अमरीका, ब्रिटेन, फ्रांस, अर्जेंटीना, मेक्सिको, मलेशिया, जर्मनी और न्यूजीलैंड में ‘वुमन इन नेचर नेटवर्क’ के तहत भारत का प्रतिनिाित्व कर चुकी हैं।

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