इस घर में 20 श्वान, 13 बिल्लियां, तीन बुल, चील, कबूतर सहित पांच दर्जन से ज्यादा पक्षी रहते हैं। खास बात यह है कि कोई भी जानवर यहां पिंजरे में नहीं रहता है। स्वाति कहती हैं कि उनके घर में कई श्वान ऐसे हैं, जिनके पैर खराब हैं। एक बुल ऐसा है, जिसे दिखाई नहीं देता। नगर निकाय ने इसे स्वाति को सौंपा है। स्वाति ने बताया कि एमबीए के बाद मैंने मुंबई में नौकरी की, लेकिन 2013 में इन बेजुबानों की सेवा के लिए वाराणसी वापस आ गई। वे कहती हैं कि मेरे इस परिवार को संभालने में मेरे माता-पिता का भी पूरा सहयोग है।
उससे जुड़ा था मेरा गहरा नाता स्वाति बताती हैं कि वर्ष 1992 में मैंने एक मदारी को बंदरिया को परेशान करते देखा। तब मैं उस मदारी से बंदरिया छीन लाई। उसके बाद से वह मेरे पास ही रही। मैंने उसका नाम रमैया रखा। उसी ने मुझे बेजुबानों से प्यार करना सिखाया और मेरा उससे गहरा नाता जुड़ा। इसलिए मैंने इस परिवार का नाम रमैया फैमिली रखा।