करौली में सेटेलाइट अस्पताल का मामला, मर्ज के दर्द पर चुप्पी

मर्ज के दर्द पर चुप्पीकरौली के लिए कितनी विचित्र बात है कि यहां के बहुत बड़े ‘मर्ज’ से राहत के लिए जनता तो लामबंद है लेकिन उन मुद्दों से जिनसे नेताओं का सबसे ज्यादा सरोकार होना चाहिए, वे बाड़ेबंद हैं। यहां के अनेक युवाओं ने सेटेलाइट अस्पताल की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को खून से लिखे पत्र भेजे हैं। लगभग सात वर्ष पहले जब नए चिकित्सालय परिसर की नींव रखी थी तब से यह मांग शुरू हुई थी। लेकिन राजनीतिक सहयोग नहीं होने से इस मांग को सम्बल नहीं मिल सका।

<p>करौली में सेटेलाइट अस्पताल का मामला, मर्ज के दर्द पर चुप्पी</p>
र्ज के दर्द पर चुप्पी
सुरेन्द्र चतुर्वेदी
करौली के लिए कितनी विचित्र बात है कि यहां के बहुत बड़े ‘मर्ज’ से राहत के लिए जनता तो लामबंद है लेकिन उन मुद्दों से जिनसे नेताओं का सबसे ज्यादा सरोकार होना चाहिए, वे बाड़ेबंद हैं। यहां के अनेक युवाओं ने सेटेलाइट अस्पताल की मांग को लेकर मुख्यमंत्री को खून से लिखे पत्र भेजे हैं। शहर के पुराने अस्पताल में सेटेलाइट हॉस्पीटल खोलने की मांग युवाओं की टीम सर्व समाज युवा परिषद के बैनर तले उठा रही है। यह मांग करौली के लिए नई नहीं है। लगभग सात वर्ष पहले जब नए चिकित्सालय परिसर की नींव रखी गई थी तब से यह मांग शुरू हुई थी। दो वर्ष पहले चिकित्सालय भवन बनकर तैयार हुआ तो इस मांग में तेजी आई लेकिन राजनीतिक सहयोग नहीं होने से इस मांग को सम्बल नहीं मिल सका। यह विडम्बना है कि जिस मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों को सक्रिय होना चाहिए वे तो अनेक वर्षों से इस पर धेला भी काम नहीं करवा पाए। क्या बुनियादी जरूरतों के लिए भी इतना इंतजार करवाना ठीक है? सबसे अहम जरूरत वाले काम भी सात साल तक लम्बित होंगे तो भला जनता का कैसे भरोसा जीत पाएंगे ? जब चुनाव आते हैं तब तो सभी वादों से खूब लुभाते हैं लेकिन कभी ऐसे मुद्दों पर अपनी सक्रियता दिखा कर दिलासा भी देनी चाहिए और खुद के जनता का हितेषी होने का अहसास भी कराना चाहिए।
अभी तो करौली शहर से 7 किलोमीटर दूर नए भवन में आधी से अधिक चिकित्सा सेवाएं शिफ्ट हुई हैं। कुछ समय बाद जब पूरा अस्पताल शिफ्ट हो जाएगा तब शहरवासियों के लिए त्वरित और सहज उपचार मिलने में मुश्किलें आएंगी। इसी को लेकर लोग चिंतित हैं। इसमें संदेह नहीं कि वर्तमान चिकित्सालय भवन शहर के बीच होने से आमजन की पहुंच में है। आवागमन भी सहज है और आसपास सभी जरूरतों को पूरा करने की सुविधाएं भी हैं। नए स्थान को विकसित होने और वहां तक आवागमन में वक्त लगेगा। अभी तो नए चिकित्सालय की सड़क भी ऐसी हैं कि एक बार जाने में हड्डी-पसली ढीली पडऩे से कराहने की नौबत आ जाए।
ऐसे में पुराने चिकित्सालय भवन में सेटेलाइट चिकित्सालय खोले जाने की मांग जायज है। इससे न केवल शहर के चिकित्सालय के संसाधनों का उपयोग संभव हो सकेगा, साथ ही लोगों की सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए दूर तक जाने की परेशानी भी बचेगी। इसी तरह की जरूरत करौली में बंद हो चुके रोडवेज डिपो को शुरू कराने, नए हॉस्पीटल तक डबल लेन सड़क का निर्माण कराने की भी है।
करौली के विधायक एक माह से मुख्यमंत्री की बाडेबंदी में हैं। लोग उम्मीद लगाए हुए हैं विधायक की मुख्यमंत्री के प्रति निष्ठा के प्रतिफल में ही जनता की ये आस पूरी हो जाए तो सोने पर सुहागा होगा। इस अवसर का विधायक और उनकी पार्टी के लोगों को फायदा उठा लेना चाहिए। सत्ता से जुड़े स्थानीय राजनीतिक लोगों को इस मामले में अपने जनप्रतिनिधियों पर दबाव बनाना चाहिए। इस मांग के बारे में जिला प्रशासन की अभिशंसा भी मजबूत आधार बन सकती है। यह शुभ संकेत हैं कि यहां का युवा वर्ग इलाके की समस्याओं और विकास के लिए जागरूक हुआ है। इन युवाओं में करौली की भलाई को लेकर नया जोश दिख रहा है। साथ में दुखदायी यह है कि जनसेवा की दुहाई देने वाले राजनीतिक लोग जनता के दर्द को नहीं समझ रहे और खामोश बैठे हैं।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.