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जन्माष्टमी विशेष: आधुनिक जीवन की सभी परेशानियों का हल है श्रीकृष्ण का गीता ज्ञान

श्रीकृष्ण मानवीय समस्याओं के उन्हीं के नजरिए से समाधान प्रस्तुत करते हैं। यही वजह है कि वे आज भी प्रासांगिक हैं

जयपुरAug 12, 2020 / 10:04 am

Mohmad Imran

जन्माष्टमी विशेष: आधुनिक जीवन की सभी परेशानियों का हल है श्रीकृष्ण का गीता ज्ञान

आज विश्व गुरू श्री कृष्ण का जन्मदिन (KRISHNA JANMASHTAMI) है। उनके जीवन और व्यवहार से उन्होंने हमें सफल एवं आदर्श जीवन का मार्ग दिखाया। वे ऐसे मार्गदर्शक और शुभ चिंतक हैं जो हजारों साल बाद भी हमारा पथ प्रदर्शन कर रहे हैं। कुरुक्षेत्र में उनका दिया गीता का ज्ञान हो या प्रत्येक समस्या के लिए उनका समाधान खोजता दृष्टिकोण, उन्होंने विश्व को सफल जीवन जीने का रास्ता दिखाया है। सरल जीवन, हार न मानना, गंभीर से गंभीर परिस्थितियों में भी शांत बने रहना और हमेशा सकारात्मक दृष्अिकोण उनके वे गुण हैं जिन्हें अपनाकर हम आज की प्रतिस्पर्धा से भरी जीवनशैली को भी सार्थक और सफल बना सकते हैं। श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं से संदेश दिया है कि हालात कैसे भी हों हार नहीं माननी चाहिए। बल्कि अंत तक प्रयास करते रहना चाहिए, फिर चाहे परिणाम हार ही क्यों न हो। लेकिन अगर मनुष्य प्रयास करना ही छोड़ देगा तो किस्मत में लिखी विजय भी पराजय में बदल सकती है।
सभी के लिए प्रासांगिक हैं श्रीकृष्ण
श्रीकृष्ण मानवीय समस्याओं के उन्हीं के नजरिए से समाधान प्रस्तुत करते हैं। यही वजह है कि वे आज भी प्रासांगिक हैं और उनकी प्रबंधकीय शिक्षा भागवत गीता के रूप में जबरदस्त अपील रखती है। उन्होंने कॉर्पोरेट सेक्टर से लेकर छात्रों तक, गृहिणियों से लेकर शिक्षकों तक सभी को प्रेरित किया है। उनके जीवन प्रबंधन का सबसे बड़ा गुण तर्कसंगत और दार्शनिकता है और वे आज भी प्रासंगिक हैं जैसे-
-जो भी हो रहा है वह अच्छे के लिए हो रहा है और जो कुछ भी हो चुका है वह भी अच्छे के लिए ही हुआ है। जो होगा वह भी अच्छे के लिए होगा।
-पविर्तन संसार का नियम है। वासना, क्रोध और लालच ही हमारे विनाश का कारण हैं।
-आशंकित मनुष्य के लिए संसार ही नहीं ब्रह्मांड के किसी भी कोने में खुशी नहीं है
-मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह सोचता है वैसा ही बन जाता है
आधुनिक समस्याओं का हल भी श्रीकृष्ण
आज दुनिया के अलग-अलग देश अपनी भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक समस्रूाओं से जृझ रहे हैं। इनके अलावा प्राकृतिक आपदाएं, जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग जैसी वैश्विक और मानवजनित चुनौतियां भी हैं जिनका समाधान आज इंसान के पास नहीं है। गीता में श्रीकृष्ण ने वसुधैव कुुटुम्बकम या वल्र्ड ब्रदरहुड के जरिए मानवता को इसका समाधान भी बताया है। आधुनिक समय में जब विश्व शांति के लिए सभी प्रयास रेत की दीवारों की तरह ढह रहे हैं श्रीकृष्ण कहते हैं कि हमारा अंतिम प्रयास समाज की भलाई होना चाहिए। उन्होंने हर जगह परोपकार के साथ स्वार्थ का समावेश किया। आधुनिक युग विज्ञान का युग है। इसलिए कुछ लोगों को वर्तमान समय में गीता की प्रासंगिकता पर संदेह है। लेकिन वर्तमान में मनुष्य की अधिकांश समस्याओं को उनके प्रबंधन के जरिए हल किया जा सकता है। समय के बदलाव के साथ इंसान का स्वभाव नहीं बदलता। आज जीवन बेहद व्यस्त है जिसके चलते हमारे आपसी रिश्तों में तनाव बढ़ गया है। वर्तमान पीढ़ी के युवाओं के पास आज रिश्तों के लिए फुर्सत नहीं है। परिवार के साथ कुछ साल बिताने के बाद वे उनसे अलग हो जाते हैं। वे जीपन की चुनौतियों का सामना नहीं कर पा रहे हैं। परिवार के लिए साधन-सुविधाएं जुटाते-जुटाते व्यक्ति मानव होने का अहसास भी भूल चुका है।
वर्तमान समय में आध्यात्मिकता में वैश्विक स्तर पर लगातार गिरावट देखने को मिल रही है। आज का जीवन चिंता, अवसाद, अनिश्चितता और दु:ख से भरा है। इसलिए इंसान भीतर से भीतर विरक्ति का अनुभव करता है क्योंकि वह अपने भीतर सच्ची खुशी पाने में विफल रहता है। इसका कारण है कि मनुष्य अपने मूल स्वभाव को नजरअंदाज कर देता है। भगवद गीता में श्रीकृष्ण हमें संसार की नकारात्मकता से बचते हुए अपने भीतर ही खुशी और शांति ढूढने को कहते हैं। वे हमें अपने जीवन को प्रभावी ढंग से जीने का रास्ता दिखाते हैं। यह भी सच है कि एक परिपक्व और जिम्मेदार व्यक्ति ही समाधान के विषय में सोच सकता है। गीता में श्रीकृष्ण हमें वास्तविकता का ज्ञान कराकर परिपक्व और जिम्मेदार बनने का रासता दिखाते हैं। यही ग्लोबल वॉर्मिंग, जलवायु परिवर्तन, आतंकवाद और युद्ध जैसी वैश्विक समस्याओं का हल है।
विचार प्रक्रिया से मिलती है सफलता
अर्जुन को गीता का उपदेश देते हुए कृष्ण ने जीवन के वास्तविक प्रबंधन के साथ इसे सफलतापूर्वक जीने के रास्ते भी बताए। गीता में बताए उनके ये सुझाव इसलिए प्रासांगिक और अपनाने योग्य हैं क्योंकि यह किसी प्रकार के सांसारिक त्याग की तरफदारी नहीं करती। बल्कि यह जीवन को पूरे आनंद के साथ जीने का संदेश देती है। अपनी पसंद का संगीत, फिल्म, जीवन, खान-पान सबकुछ करें। केवल अपनी विचार प्रक्रिया पर रोज थोड़ा-थोड़ा काम करें। विचारों की शक्ति ही हमें आगे बढऩे में मदद करती है। भगवान में भरोसा करें और अपनी जिम्मेदारियशें को पूरी तरह निभाएं। इस तरह भगवान में विश्वास कर किया गया हर काम हमारे मन से नाकरात्मक विचारों को दूर कर हमें सकारात्मक ऊर्जा और चुनौतियों का सामना करने लायक बनाता है। अपने आस-पास प्यार बांटिए और लोगों के साथ सद्व्यवहार कीजिए, यही भागवत गीता में श्रीकृष्ण का संसार के सभी युवाओं को संदेश है।

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