निजी बॉन्ड के बाद भी कैद रखना, अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है
इलाहाबाद हाइकोर्ट ने हाल ही एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अनिवार्य पर्सनल बॉन्ड भरे जाने के बावजूद किसी व्यक्ति को हिरासत में रखना निजी स्वतंत्रता के अधिकार की अवमानना है। इस मामले में दो लोगों को शांतिभंग में गिरफ्तार किया गया था। फैसले में माननीय न्यायलय ने कहा कि धारा 107 सीआरपीसी के तहत किसी भी आरोपी को शंति बनाए रखने के लिए सिक्योरिटी प्रदान करने अथवा एक बांड भरने की आवश्यकता होती है। यानी इस आधार पर यह मन जाएगा कि सीआरपीसी के तहत बांड में निहित शर्तों को पूरा करने के बाद भी अगर किसी व्यक्ति को हिरासत में रखा जाता है तो यह क़ानून की नज़र में उक्त वयक्ति के संविधान से प्राप्त अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (निजी स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन मन जाएगा।
धारा 107: सीआरपीसी (CRPC) की धारा 107 के तहत सार्वजनिक शांति बनाए रखने के लिए बॉन्ड भरने को कहा जा सकता है। ऐसा करने के बाद भी व्यक्ति को रिहा न करना अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और 21 (निजी स्वतंत्रता का अधिकार) का उल्लंघन है।