यह कहा बेंच ने
न्यायालय ने कहा कि कई मामलों में अपराधी का पता नहीं चलता या पहचान नहीं हो पाती है। जबकि पीडि़त की पहचान सार्वजनिक हो जाती है। ऐसे में पीडि़त अथवा उसके आश्रित मुआवजे के लिए राज्य या जिला विधिक सेवा प्राधिकरण को आवेदन दे सकते हैं। गौरतलब है कि सीआरपीसी की धारा 357 ए (2009) के प्रावधानों के तहत कोर्ट को लगे कि क्रिमिनल केस में पीडि़त मुआवजे का हकदार है, तो वह राज्य सरकार को पुनर्वास हेतु मुआवजा देने को कह सकती है।