खास बात यह है कि उनकी कंपनी में महत्त्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी महिलाएं ही संभालती हैं। मारवाड़ी परिवेश में पली-बढ़ी अंकिता कहती हैं कि उन्हें कभी महिला और पुरुष में अंतर का अहसास नहीं हुआ, परंतु जब वे सिंगापुर से पढ़ाई करके कोलकाता में खुद को इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में स्थापित करने आईं तो उन्हें बड़ी हैरत हुई, क्योंकि सिंगापुर में स्त्री पुरुष को लेकर कोई भी भेदभाव नहीं है।
अंकिता कहती हैं कि यहां आने के बाद जिस तरह की स्थितियां मैंने देखी, उसने मुझे प्रेरित किया कि महिलाओं के लिए कुछ हटकर करना चाहिए। मैंने अपनी बनाई कंपनी में महत्त्वपूर्ण पदों की कमान महिलाओं के हाथों में ही दी। यह देखकर अच्छा लगता है कि वे अपनी पहचान बना रही हैं।
अच्छे मुकाम के लिए लंबा संघर्ष अंकिता कहती हैं कि मेहनत, लगन और काम के प्रति तत्परता के दम पर उन्होंने खुद को स्थापित किया। अंकिता ने 2010 में अपना कॅरियर शुरू किया और आज वह इंटीरियर डिजाइनिंग के क्षेत्र में अच्छे मुकाम पर हैं। वे कहती हैं कि जीवन में परिवार का काफी सहयोग रहा, लेकिन समाज में खुद को स्थापित करने के लिए उन्हें लंबा संघर्ष करना पड़ा।