भारतवंशी दो बेटियों ने अकेले बुजुर्गों की खुशी के लिए कुछ ऐसा किया

-बोस्टन में रहने वाली बहनों ने इंग्लैंड में रहने वाली दादी से बातचीत के बाद शुरू किया अभियान -लेटर्स अगेंस्ट आइसोलेशन (Letters against isolation)

<p>भारतवंशी दो बेटियों ने अकेले बुजुर्गों की खुशी के लिए कुछ ऐसा किया</p>
बोस्टन. कोरोनावायरस महामारी के दौरान श्रेया और सेफरन पटेल इंग्लैंड में अपने दादा-दादी से फेसटाइम के जरिए रूबरू होती हैं। उनकी दादी चार माह से अपार्टमेंट में ही हैं। किसी से घुलमिल नहीं सकती और बातचीत भी नहीं। इस बीच दादी को उन्हीं की किसी साथी ने हस्तलिखित पत्र भेजा। इसके बाद जब बोस्टन में रहने वाली पटेल बहनों ने अपनी दादी से बात की तो उनके मूड में सुधार नजर आया। दादी ने दोनों पोतियों को उस पत्र के बारे में बताया और वीडियो कॉलिंग के दौरान इसे दिखाया।
16 वर्षीय सेफरन कहती हैं, हम वही खुशी दूसरे बुजुर्गों के चेहरे पर भी देखना चाहते थे, कोरोनावायरस के कारण आइसोलेट हैं या किसी भी वजह से अपनों से दूर हैं। इसके बाद दोनों बहनों ने अप्रेल में वरिष्ठ नागरिकों को कार्ड भेजने की योजना ‘लेटर्स अगेंस्ट आइसोलेशन’ पर काम शुरू किया। 18 वर्षीय श्रेेया ऐसे नर्सिंग होम्स में गईं, जहां बुजुर्ग अकेले उपचार ले रहे हैं, वहां उन्होंने पहले 200 कार्ड बांटे।
12 देशों से लोगों ने भेजे कार्ड
दोनों बहनों के लिए इतने कार्ड तैयार करना संभव नहीं था, लिहाजा उन्होंने कुछ लोगों से मदद का आग्रह किया। चूंकि वसंत शुरू हो चुका था, इसलिए स्वयंसेवकों का नेटवर्क बढ़ता रहा। उनके अभियान की ताकत देखिए न केवल अमरीका बल्कि दुनियाभर से 14 हजार लोगों ने कार्ड भेजे। इसके बाद दोनों बहनों ने ये कार्ड अलग-थलग रह रहे बुजुर्गों को भिजवाए। श्रेया ने अपनी साइट पर पत्र लेखक मंच का सुझाव दिया, जिसके बाद पहले ही सप्ताह उनकी वेबसाइट पर टै्रफिक बढ़ गया। ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान सहित 12 देशों के स्वयंसेवकों ने अलग-अलग ढंग से पत्र भेजे। इनमें अलगाव से बचने और अन्य भावपूर्ण संदेश शामिल थे।
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