सागर

BMC 10 लाख का टॉयलेट,10 दिन में ही खामियां उजागर

पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीक्षण यंत्री ने दिए सुधार के निर्देशहाल-ए-बीएमसी व जिला अस्पताल: निर्माण से लेकर मरीजों की सुविधाओं तक में लगा रहे सेंध

सागरSep 14, 2018 / 02:08 pm

manish Dubesy

BMC and district hospital toilet disturbances

सागर. बीएमसी में 10-10 लाख रुपए से तैयार किए जा रहे रिनोवेटिड टॉयलेट का पीडब्ल्यूडी विभाग के अधीक्षक यंत्री ने गुरुवार को जायजा लिया। ग्राउंड फ्लोर पर टॉयलेट तैयार हो चुका है। यह मरीजों और उनके परिजनों के लिए शुरू भी कर दिया है। निरीक्षण के दौरान अधीक्षण यंत्री एके सिंह ने यहां का मुआयना किया, जहां पानी निकासी की व्यवस्था दुरुस्त नहीं पाई। उन्होंने मौके पर मौजूद इंजीनियर को इन खामियों को इसे दुरुस्त करने के निर्देश दिए। वहीं, शहर के कॉलोनाइजर और इंजीनियर प्रकाश चौबे भी उसे देखने के लिए पहुंचे थे। उन्होंने भी बॉश वेसन और टॉयलेट में पानी निकासी की व्यवस्था में कमी पाई।
बता दें कि दस लाख रुपए से तैयार किए गए इस टॉयलेट को विभाग ने नए सिरे से बनाया है। पहले यह महिला-पुरुष के लिए कॉमन टॉयलेट था, लेकिन अब विभाग ने इसे दो भागों में बांट दिया है। करीब ९०० वर्गफीट पर इस टॉयलेट का निमार्ण किया गया है।
प्रथम तल पर भी इसी तरह एक टॉयलेट के निर्माण का काम चल रहा है। यहां पर भी खामियां मिली थीं। यहां वॉटर प्रूफिंग के साथ टॉयलेट का निर्माण कराया जाना है। यहां भी महिला-पुरुष के लिए अलग-अलग टॉयलेट बनाई जाना है। अस्पताल के हैंडओवर की प्रक्रिया एक बार में पूरी नहीं हुई है। २०१२ में ग्राउंड फ्लोर के टॉयलेट हैंडओवर प्रबंधन ने लिए थे। लेकिन चार साल कैज्युल्टी और यह टॉयलेट खराब हो गए थे। प्रबंधन ने पीडब्ल्यूडी को इसके मैनटेनेंस का जिम्मा सौंपा है। मॉडल के तौर पर तीन टॉयलेट १०-१० लाख रुपए में तैयार कराई जा रही हैं।
मशीनें हो गईं बंद, बाहर से डायलिसिस करा रहे मरीज
शासन स्तर से प्रदेश के सभी जिला अस्पतालों में डायलिसिस केयर यूनिट शुरू की गई है। सागर के जिला अस्पताल में भी यह यूनिट चालू है। शासन ने यहां दो मशीने ंउपलब्ध कराईं थी, लेकिन इनमें से एक मशीन कई महीनों से बंद है। इसकी मरम्मत के लिए शासन स्तर से अभी तक कोई इंजीनियर नहीं भेजा गया है। एेसे में यहां एक मात्र डायलिसिस मशीन से मरीजों की डायलिसिस हो रही है। अस्पताल प्रबंधन के अनुसार इसके सुधार के लिए पत्र लिखा गया है, लेकिन कंपनी के इंजीनियर इसके सुधार के लिए नहीं आ रहे हैं। वर्तमान में यहां एक दिन में दो से तीन मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। जबकि जरूरत ६ से ७ मरीजों को पड़
रही है।
यही हाल मेडिकल कॉलेज का भी है। यहां दो में से एक मशीन कई महीनों से बंद पड़ी है। यहां रोजाना एक से दो मरीजों की डायलिसिस की जा रही है। यहां पर जिला अस्पताल से लौटाए गए मरीजों की डायलिसिस की जा रही है, लेकिन यहां भी पर्याप्त मरीजों को इसका फायदा नहीं मिल रहा है।
40 लाख से तैयार होगी लैब
सागर. बीएमसी में गुरुवार को दिल्ली से आई टीम ने माइक्रोबायोलॉजी विभाग का जायजा लिया। टीम में आइसीएमआर दिल्ली के डिप्टी डायरेक्टर जनरल डॉ. एके बग्गा और एम्स भोपाल के प्रोफेसर डॉ. देवाशीष विश्वास थे। उन्होंने डीन डॉ. जीएस पटेल और विभागाध्यक्ष डॉ. अमरदीप राय से वायरोलॉजी लैब से संबंधित चर्चा की। इस लैब को तैयार करने में6 करोड़ रुपए का खर्चा आएगा। विभाग के पास 40 लाख रुपए की राशि इसी से खर्च की जाएगी। जो राशि बचेगी उससे उपकरणों की खरीदी की जाएगी। इसके बनने से स्वाइन फ्लू जैसी जांच जबलपुर और भोपाल से नहीं करना पड़ेगी। वायरोलॉजी लैब का इंचार्ज असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सुमित रावत को बनाया गया है।

 

 

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