डेढ़ वर्ष की बेटी को कंधे पर बिठाकर नदी और जंगलों से होकर टीकाकरण के लिए जाती है ये एएनएम

-जज्बा : बच्चों का टीकाकरण करने रोज चुनौतियां पार करती हैं मंती-30 किलोमीटर तक की दूरी तय करनी पड़ती है एएनएम मंती को 8 गांवों में टीकाकरण के लिए

<p>डेढ़ वर्ष की बेटी को कंधे पर बिठाकर नदी और जंगलों से होकर टीकाकरण के लिए जाती है ये एएनएम</p>
रांची. ये कर्तव्य के प्रति समर्पण की मिसाल है। संविदा सहायक नर्स (एएनएम) मंती कुमारी छोटे बच्चों के टीकाकरण कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए रोज कड़ी चुनौतियों से गुजरती हैं। झारखंड के चेतमा स्वास्थ्य केंद्र पर तैनात मंती आठ गांवों को कवर करने के लिए रोज 30 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। इतना ही नहीं रास्ते भी ऊबड़-खाबड़, जंगल और नदियों से होकर जाते हैं, इस पर डेढ़ वर्ष की बेटी, जिसे कंधे पर बिठाकर वह यह मुश्किल सफर तय करती हैं। मंती बताती हैं, उनके लिए यह नया काम नहीं है, रोज ही उन्हें नक्सल प्रभावित इलाकों में ऐसे ही जाना पड़ता है। हालांकि नदियां ज्यादा गहरी नहीं हैं, लेकिन बारिश के दिनों में प्रवाह तेज होने से काफी मुश्किलें पैदा हो जाती हैं। यदि नदियों में जलस्तर बढ़ जाता है, तो कम होने तक गांवों में ही शरण लेनी पड़ती है।
चिकित्सा सुविधाओं में सुधार की दरकार
ये हालात दिखाते हैं, आज भी सुदूर गांवों में चिकित्सा सुविधाओं की हालत ठीक नहीं है। चेतमा स्वास्थ्य केंद्र के डॉ. अमित खलखो का कहना है, यह क्षेत्र काफी कठिनाइयों से भरा है। ऐसे दुर्गम रास्तों से होकर सेवा देने वाली एनएनएम का जज्बा सराहनीय है।
लॉकडाउन में छूटी पति की नौकरी
मंती कहती हैं, ऐसे जोखिम पहले भी उठाए हैं, लेकिन जब से पति सुनील उरांव की लॉकडाउन के दौरान नौकरी छूटी, तब से परिवार का जिम्मा उन्हीं पर आ गया। दूर-दराज कई बार पति को भी साथ ले जाती हूं। उन्हें सप्ताह में छह दिन ऐसी ही चुनौतियां पार करनी होती हैं।
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