Happiness : आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस ने 7 लाख लेख पढकऱ पता लगाया, खुश कैसे रह सकते हैं?

154 देशों हैप्पीनेस सर्वे में फिनलैंड (finland) सबसे खुश और दक्षिण सूडान (south sudan) सबसे नीचे की पायदान पर है-140वां नंबर है भारत का हैप्पीनेस इंडेक्स (happiness index), जो 2018 में 133 था

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जयपुर.
खुशी का पैमाना क्या है? आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआइ) ने लाखों जर्नल्स में छिपे खुशी के राज खंगाले हैं। कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ वाटरलू के शोधकर्ताओं ने एक मोबाइल मूड टै्रकिंग ऐप 67 हजार यूजर्स की लिखी 7 लाख से अधिक प्रतिविष्टियों को जुटाकर एआइ कंप्यूटर मॉडल विकसित किया है। जनवरी में प्रकाशित रिपोर्ट में सकारात्मक मनोदशा और नींद की गुणवत्ता, स्वस्थ भोजन और व्यायाम के बीच संबंधों को पुनर्परिभाषित किया है।
निष्कर्ष ये निकला कि खुद की देखभाल ही खुशी का सूत्र है। शोध खुद की मनोदशा के बीच संबंधों की भी पड़ताल करता है। मसलन, जो लोग थकान महसूस करते हैं, वे शीघ्र क्रोध और हताशा अनुभव करते हैं। जबकि जो लोग सक्रिय होते हैं, उनके खुश और आनंदित रहने की संभावना अधिक रहती है। अध्ययन से जुड़े लुकास कहते हैं सक्रिय और सकारात्मक रहना हमें ज्यादा खुश रख सकता है। अनुसंधान में प्रौद्योगिकी को अहम मानते हुए लुकास कहते हैं, इसे स्क्रीनिंग टूल के रूप में इस्तेमाल किया जाए ताकि यूजर्स के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों को परखा जा सके।
इसलिए सबसे खुश देश है फिनलैंड
विश्व हैप्पीनेस इंडेक्स में फिनलैंड लगातार दूसरी बार शीर्ष पर है। सबसे नीचे दक्षिणी सूडान है। फिनलैंड की खुशी का राज यहां का प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं बल्कि इसके पीछे कठोर सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क, विश्वास की संस्कृति, उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा (शिक्षा में भी फिनलैंड शीर्ष पर है) और लैंगिक समानता भी प्रमुख हैं। ये तब है जब 1918 में स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भीषण गृहयुद्ध झेला।
द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद फिनलैंड यूरोप के सबसे गरीब देशों में से था। इसके बावजूद फिनलैंड ने सिर्फ और सिर्फ तरक्की के पैमाने गढ़े, कल्याणकारी योजनाएं बनाईं। ट्रंासपेरेंसी इंटरनेशनल के अनुसार फिनलैंड दुनिया के सबसे कम भ्रष्ट देशों में से है। यहां की 80 फीसदी आबादी देश की पुलिस, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं पर भरोसा करती है। फिनिश पैसे से ज्यादा पारिवारिक रिश्तों को महत्व देते हैं।
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