कंपनियों की बात तो दूर, आउटसोर्सिंग ने भी स्थानीय युवाओं को रोजगार में नहीं दी वरियता

70 फीसदी स्थानीय युवाओं को रोजगार दिलाने का वादा अब तक हवाहवाई ….

सिंगरौली. एनसीएल हो या एनटीपीसी। रिलायंस सासन पॉवर हो या फिर एस्सार पॉवर सहित अन्य दूसरी कोल व विद्युत उत्पादक कंपनियां। इन कंपनियों ने स्थानीय युवाओं को रोजगार में वरियता नहीं दी है। इतना ही नहीं इन कंपनियों की सहयोगी यानी ठेका कंपनियों द्वारा भी स्थानीय युवाओं को नौकरी पर रखने में तरजीह नहीं दी गई है।
ठेका यानी आउटसोर्सिंग कंपनियों की ओर से किश्तों में भर्ती अभी भी जारी है, लेकिन उनकी ओर से केवल बाहरी युवाओं को वरियता दी जा रही है। यह हाल तब है जबकि प्रभारी मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक यहां के युवाओं से यह वादा कर गए हैं। जिले में संचालित कोयला व विद्युत उत्पादक कंपनियों के अलावा उनकी सहयोगी ठेका कंपनियों में स्थानीय युवाओं के लिए 70 फीसदी पद आरक्षित रखे जाएं।
स्थानीय व बाहरी युवाओं की भर्ती में 70 व 30 प्रतिशत का आंकड़ा तय किया जाए। कंपनियों को जिला प्रशासन की ओर से इस बावत निर्देशित भी किया गया है, लेकिन सारी कवायद केवल दिशा-निर्देश तक सीमित है। एनसीएल में अभी हाल ही में हुई भर्तियों में चयनित व कार्यभार संभालने वाले युवाओं में 90 फीसदी लोग बाहर के हैं।
यही हाल एनटीपीसी व रिलायंस सहित अन्य कंपनियों का भी है। इतना ही नहीं इन कंपनियों के साथ कार्य करने वाली ठेका कंपनियों की ओर से की गई भर्ती में भी स्थानीय को तरजीह नहीं दी गई है। यही वजह है कि ठेका कंपनियों द्वारा किश्तों में थोड़े-थोड़े कर्मचारियों की नियुक्ति की जा रही है।
सीएम ने मंच से किया है वादा
वर्ष की शुरुआत में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान यहां दौरे पर आए थे। मंच से मुख्यमंत्री ने संचालित कंपनियों में स्थानीय युवाओं को प्राथमिकता देने की बात कही थी। साथ ही वादा किया था कि 70 फीसदी पदों पर स्थानीय युवाओं की नियुक्ति मिलेगी। इससे पहले जिले के पूर्व प्रभारी मंत्री ने भी रोजगार में स्थानीय को वरियता दिलाने का वादा किया था, लेकिन अभी तक नतीजा सिफर है।
कोरोना की आपदा में घर बैठे युवा
स्थानीय युवाओं को वर्तमान में रोजगार की सख्त जरूरत है। क्योंकि पिछले वर्ष से शुरू कोरोना की आपदा में परदेश से लौटे ज्यादातर युवा घर पर बैठे हैं। हालांकि इस दरम्यान जिला प्रशासन की ओर से 5 रोजगार मेले का आयोजन किया गया और इन मेलों में 1470 लोगों को रोजगार दिलाने का दावा किया गया है। फिलहाल यह केवल ऊंट के मुंह में जीरा सरीके है।
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