MP के इस जिले में Higher education का बंटाधार

-अगस्त में होना है प्रवेश, सितंबर से होनी है पढाई, कालेजों में न प्राचार्य न आचार्य-दो-चार कमरों में संचालित हो रहा Higher education

<p>कॉलेज स्टूडेंट्स</p>
सिंगरौली. अब से दो दिन बाद से शुरू होगी कॉलेजों में दाखिले की प्रक्रिया। अगले महीने से नियमित कक्षाएं भी चलनी हैं। लेकिन जिले के Higher education की तो हवा निकली हुई है। कॉलेजों में न नियमित आचार्य हैं न प्राचार्य, ज्यादातर कॉलेज भी दो-चार कमरों में किराये पर चल रहे हैं। यह सब जानते हुए भी जनप्रतिनिधि हों या सरकार अथवा सरकारी मशीनरी, सभी हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। किसी को इसकी चिंता ही नहीं कि जिले के बच्चे जिन्होंने हाल ही में 12वीं पास की है वो कहां जाएंगे।
प्रभारी प्राचार्य के भरोसे 10 कॉलेज

जानकारी के अनुसार सिंगरौली में संचालित कॉलेजों में प्राचार्य ही नही हैं। सभी शासकीय कॉलेज प्रभारी प्राचार्य के भरोसे चल रहे हैं। शासकीय कॉलेज देवसर व शासकीय कॉलेज बरका को छोड़ दिया जाए तो आठ कॉलेजों में प्राचार्य का प्रभार शासकीय अग्रणी कलेज वैढऩ के प्राचार्य प्रो. एमयू सिद्दीकी के पास है। इस सूरत में कॉलेजों की दशा का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है।

प्राध्यापकों की कमी
शासकीय कॉलेज में प्राचार्य के साथ ही प्राध्यापकों की कमी है। शासकीय कॉलेजों का ये हाल है कि ये अतिथि प्राध्यापकों के भरोसे चल रहे हैं। एक ओर कॉलेज खोलने की कबायत शुरू हो चुकी है। छात्रों को प्रवेश दिया जा रहा है लेकिन इन छात्रों को पढ़ाएगा कौन यह कोई बताने वाला नही है। हाल ही 12 प्राध्यापकों की नियुक्ति होने के बावजूद शासकीय कॉलेज रजमिलान, शासकीय कॉलेज सरई व शासकीय कॉलेज चितरंगी में केवल एक-एक नियमित प्राध्यापक हैं। जानकारी के अनुसार माड़ा कॉलेज में नौ में से 6 पद खाली हैं।
किराये के कमरों मे चल रहे कॉलेज
कॉलेज के पास अपना भवन तक नहीं है। ऐसे में प्राइमरी स्कूलों की तर्ज पर दो-चार कमरे किराये पर लेकर कॉलेज चलाए जा रहे हैं। यहां न प्रयोगशाला है न पुस्तकालय। खेल मैदान का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। शासकीय कॉलेज बरगवां किराए के भवन में चल रहा है, जबकि माड़ा व रजमिलान के शासकीय स्कूल व वेटनरी के भवन में।
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