‘जब बच्चों को बकरी ही चराना है तो स्कूल किस काम का’, यह कहकर ग्रामीणों ने स्कूल में जड़ा ताला

‘जब बच्चों को बकरी ही चराना है तो स्कूल किस काम का’, ग्रामीणों ने स्कूल में जड़ा ताला

<p>Story of school shiksha vibhag in sidhi madhya pradesh</p>
सीधी। अव्यवस्थाओं से घिरे शासकीय माध्यमिक शाला मेढ़की में नाराज अभिभावकों ने ताला जड़ दिया गया है। कहा, जब तक जिम्मेदार समस्याओं का निराकरण नहीं करेंगे न तो बच्चे स्कूल जाएंगे और न ही ताला खोला जाएगा। उप सरपंच विजय कुमार ने कहा, जब बच्चों को बकरी ही चराना है तो स्कूल किस काम की है। बताया गया कि, संकुल केंद्र पौड़ी अंतर्गत प्राथमिक व माध्यमिक शाला मेढ़की में चार सितंबर से ग्रामीणों ने बच्चों को भेजना बंद कर दिया है। बच्चे भी नहीं जाना चाहते।
पढ़ाई भी नहीं होती

बताया कि, शिक्षक बारह बजे तक स्कूल आते हैं। तीन बजे वापस चले जाते हैं। पढ़ाई भी नहीं होती। बच्चे आपस में झगड़ते रहते हैं। पीने के पानी सहित अन्य सुविधाएं भी नहीं हैं। छत से टपकते पानी के नीचे बैठते हैं। प्रदूषित भोजन भी कराया जाता है। गणवेश की राशि, छात्रवृत्ति और अंकसूची तक का पता नहीं है। किताबें अभी भी नहीं मिलीं। आठवीं के बच्चों से हिंदी की किताबें पढ़ते नहीं बनतीं।
विद्यालय में ताला बंद करने का निर्णय

कक्षा 6वीं से 8वीं तक बच्चे पढे पर, मार्कशीट का पता नहीं है। अविभावकों ने 4 सितंबर से बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर दिया। 5 को कलेक्टर, जिला शिक्षा अधिकारी, जनप्रतिनिधियों को भी शिकायत की। लेकिन अधिकारी नहीं पहुंचे। लिहाजा, सरपंच ग्राम पंचायत बस्तुआ प्रेमवती बैगा, उप सरपंच विजय सिंह, वार्ड पंच श्रीकांत मिश्रा की अगुवाई में विद्यालय में ताला बंद करने का निर्णय लिया।
…तब तक ताला बंद रहेगा

ग्रामीणों की उपस्थिति में सरपंच द्वारा ताला बंद कर दिया गया। कहा, जब तक सक्षम अधिकारी द्वारा विद्यालयीन गतिविधियों, बच्चों का शैक्षणिक स्तर सहित समस्त रिकॉर्ड की जांच नहीं की जाएगी तब तक ताला बंद रहेगा। विद्यालय में एक से पांच तक 58 तथा माध्यमिक शाला में 33 छात्र हैं। भवन से पानी टपकता है। छत में काई लग गई है। प्लास्टर का मलवा बच्चों पर गिरता है।
शिक्षकों के स्कूल आने जाने का समय नहीं है। पढ़ाई तो होती ही नहीं। बच्चों को बैठने के लिए टाट पट्टी नहीं है। बजट शिक्षक फर्जी हस्ताक्षर से हजम कर जाते हैं। कुछ कहने पर अभद्रता पूर्ण व्यवहार करते हैं। शिकायत की जांच होनी चाहिए।
श्रीकांत मिश्रा, पंच
शिक्षकों की मनमानी से बच्चों का भविष्य गर्त में जा रहा है। लापरवाही के कारण पठन-पाठन सहित अन्य गतिविधियां प्रभावित हैं। शिकायत भी उच्चाधिकारियों से की गई थी, लेकिन ध्यान नहीं दिया। इसलिए ताला बंदी की गई। जांच के बाद ही ताला खुलेगा।
शिवशंकर यादव, अविभावक
ग्रामीणों द्वारा शिक्षकों के मनमानी व भ्रष्टाचार की शिकायत की गई थी। स्कूल की जांच करने व दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई थी। लेकिन कुछ नहीं हुआ। जब बच्चे ही नहीं आते तो काहे की स्कूल। ताला जांच के बाद ही खुलेगा।
प्रेमवती बैगा, सरपंच बस्तुआ
आठवीं के बच्चों से किताब पढ़ते नहीं बनता। कभी एसएमसी की बैठक नहीं होती है। मध्याह्न भोजन में कचड़ा युक्त खाना मिलता है। शिक्षक कर्तव्यों का निर्वहन नहीं करते हैं। शिकायत कोई सुनता नहीं है। आंदोलन करना पड़ा। स्कूल किस काम की है। अब जांच होगी अथवा स्कूल बंद रहेगी।
विजय कुमार सिंह, उप सरपंच बस्तुआ
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