सहकारी बैंक घोटाले में बनेंगे सवा सौ आरोपी, पुलिस जांच में जुटी

कोलारस पुलिस जुटी जांच में, ज्वैलर्स व इलेक्ट्रॉनिक दुकानदार भी आरोपियों में शामिल

<p>सहकारी बैंक घोटाले में बनेंगे सवा सौ आरोपी, पुलिस जांच में जुटी</p>
शिवपुरी. सहकारी बैंक कोलारस में हुए 103 करोड़ रुपए के घोटाले में अभी तक 14 बैंककर्मियों को निलंबित किया गया, लेकिन अब इस मामले में रजिस्टार द्वारा 112 अन्य लोगों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराने की तैयारी कर ली है। कोलारस थाने में रजिस्ट्रार की ओर से वो सूची दी गई है, जिनके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराए जाने की अनुशंसा की गई है। सहकारिता में हुए करोड़ों के इस घोटाले में मुख्य आरोपियों को बचाने के लिए भीड़ बढ़ाने की कवायद की जा रही है। इतना ही नहीं जिन लोगों के नाम एफआईआर दर्ज कराने की बात कही जा रही है, उनमें से कोई ज्वैलर्स है तो कोई इलेक्ट्रॉनिक आयटमों का कारोबारी। हालांकि कोलारस पुलिस एफआइआर दर्ज करने से पहले दिए गए नामों की विवेचना कर रही है, ताकि पूर्व में दर्ज प्रकरण कमजोर न हो जाए।

गौरतलब है कि सहकारी बैंक कोलारस में हुए करोड़ों के घोटाले में पहले तो उन लोगों को आरोपी बनाकर एफआइआर दर्ज की गई, जिन्होंने इस हेराफेरी को अंजाम दिया। इस मामले में जिला सहकारी बैंक के पांच प्रबंधकों को भी निलंबित किया जा चुका है। चूंकि इस मामले की जितनी परतें खुल रही हैं, उनमें बैंक का स्टाफ ही फंसता जा रहा है, इसलिए अब दिशा को बदलने के लिए तथा मुख्य आरोपियों को बचाने के लिए इसमें 112 नए नाम जोडक़र उनके खिलाफ एफआईआर की तैयारी शुरू कर दी गई। मामले की जांच कर रही टीम ने उन लोगों को भी आरोपी बनाने के लिए सूची दे दी गई, जिन लोगों के खाते में बैंक घोटाला करने वालों ने राशि ट्रांसफर की थी। बताते हैं कि करैरा की पिंकी यादव को कैशियर राकेश पाराशर द्वारा करोड़ों रुपए की ज्वैलरी खरीदकर दी गई। इसके बदले में ज्वैलर्स के अलावा इलेक्ट्रॉनिक्स के दुकानदारों सहित अन्य कारोबारियों को भी भुगतान किया था, इसलिए अब इन दुकानदारों को भी बैंक घोटाले का आरोपी बनाने की तैयारी की जा रही है।
ऐसे की जा रही बचाने की कवायद
करोड़ों का बैंंक घोटाला करने वालों को चिह्नित करके एफआइआर दर्ज की गई है। लेकिन यदि किसी पुलिस केस को बिगाडऩा हो तो उसमें आरोपियों के नाम बढ़ा देने तथा उनमें ऐसे लोगों के नाम जोड़ दिए जाएं, जो उस मामले से सीधे न जुड़े हों। ऐसा करने से केस में उन लोगों को लाभ मिल जाता है, जिन्हें जबरन जोड़ा गया है। ऐसे में जब एक ही केस में दूसरे आरोपियोंं को लाभ मिलता है, तो उसी के आधार पर अन्य आरोपियों को भी न्यायालय से राहत मिल जाती है। यही वजह है कि कड़ी मशक्कत के बाद जिन घोटालेबाजों के चेहरे उजागर किए गए, अब सहकारिता के जिम्मेदार उन्हें ही बचाने की कवायद में जुट गए।
प्रवृत्ति अलग होने के बाद भी उसी प्रकरण में नाम बढ़ाने की चल रही तैयारी
बैंक घोटाले में जिन लोगों पर पहले एफआइआर हुई थी, उन लोगों पर सीधे ही राशि का गबन करने का मामला दर्ज किया गया है। अब प्रकरण में बाकी के 112 नाम जोडऩे की तैयारी की जा रही है, जबकि यदि दूसरे 112 इस मामले में आरोपी बनते भी हैं, तो अपराध की प्रवृत्ति अलग-अलग होने की वजह से अलग धाराओं में प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए। लेकिन ऐसा न करके बैंक घोटाले की धाराओं में ही इलेक्ट्रॉनिक्स व ज्वैलर्स को भी लपेटने की तैयारी कर ली गई।

कर रहे हैं विवेचना
रजिस्ट्रार के यहां से नामों की सूची मिली है, जिसमें एफआइआर करने की बात कही गई है। अभी हम जोड़े गए नामों की विवेचना कर रहे हैं। उनमें से अभी किसी के खिलाफ एफआइआर नहीं हुई है।
आलोक सिंह भदौरिया, थाना प्रभारी कोलारस
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