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3 साल के बच्चे को घर छोड़कर मेडिकल कॉलेज में ही रह रहीं थीं डॉ. वंदना
जिले के शिवपुरी मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर तैनात कोरोना के मरीजों का इलाज करने वाली फार्मासिस्ट डॉक्टर वंदना तिवारी की मंगलवार को मौत हो गई। जानकारी के मुताबिक, ओवर टाइम ड्यूटी करने के कारण डॉ. वंदना का 31 मार्च की रात ड्यूटी के दौरान ब्रेन हेमरेज हो गया था। 1 अप्रैल को उन्हें इलाज के लिए ग्वालियर के बिरला अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां मंगलवार रात को उन्होंने दम तोड़ दिया। डॉ. वंदना के करीबियों ने बताया कि, पिछले दो दिनों से वो कोमा में चली गई थीं। आपको बता दें कि, कोरोना मरीजों की ड्यूटी में तैनात होने के चलते वंदना अपने 3 साल के बच्चे को घर छोड़कर खुद मेडिकल कॉलेज में ही रह रही थीं।
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अपनी तकलीफ से ज्यादा लोगों की जान बचाने को दिया महत्व
डॉक्टर वंदना की एक सहयोगी डॉक्टर के मुताबिक, मेडिकल कॉलेज में कोरोना के संदिग्ध सेकड़ों मरीजों को आइसोलेशन में रखा गया है। हालांकि, अब तक दो मरीजों की रिपोर्ट पॉजिटिव भी आ चुकी है, जिनमें से एक पूरी तरह स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुका है। इन हालातों का सिर्फ हम ही नहीं बल्कि, देश दुनिया के सभी डॉक्टर्स पूरी जिम्मेदारी से मुकाबला कर रहे हैं। ये ही हाल डॉक्टर वंदना का भी था, जिन्हें अधिक काम करने के कारण कुछ दिनों से सिर में दर्द था, लेकिन मरीजों की चिंता में लगी वंदना अपनी तकलीफ को नजरअंदाज करती रहीं और 31 मार्च की रात ड्यूटी के दौरान वो अचानक बेहोश होकर गिर गईं, जांच में सामने आया कि, उन्हें ब्रेन हैमरेज हुआ है। अगले ही दिन उन्हें बेहतर उपचार के लिए ग्वालियर रेफरकिया गया, जहां उपचार के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
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कर्मवीर की शहादत को पत्रिका का सलाम
लोगों को इस महामारी से बचाने के लिए चिकित्सक हो या पुलिस, दोनो ही बड़ा बलिदान दे रहे हैं। एक तरफ तो ये लोगों इस जानलेवा संक्रमण से बचाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। वहीं, दूसरी तरफ इन्हें ये भी नहीं पता कि, ये खुद कब संक्रमण की चपेट में आ जाएं। इसलिए सोशल डिस्टेंसिंग का सबसे कड़ा पालन इन्ही को करना पड़ रहा है। ऐसे में लोगों से सीधे संपर्क में आने वाले लगभग सभी चिकित्सक और पुलिसकर्मी बीते कई दिनों से अपने घर भी नहीं गए हैं। इसके कई उदाहरण हम मध्य प्रदेश समेत देशभर में अब तक देख चुके हैं। सुरक्षा के लिहाज से प्रशासन ने कई अधिकारी, पुलिसकर्मी और चिकित्सकों उनके घरों से अलग रोक रखा है। डॉ. वंदना भी अपने परिवार और सिर्फ 3 साल के मासूम बच्चे को घर पर छोड़कर मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल में ठहरी हुई थीं। यहां देश सेवा उनके लिए परिवार और मासूम बच्चे के साथ रहने से कई ज्यादा थी। साथ ही, ओवर लोड काम होने के कारण तबियत साथ न देने बावजूद उन्होंने अपने कर्तव्य से पीछे हटना सही नहीं समझा और लोगों की सेवा करते करते कुर्बान हो गईं। पत्रिका देश की उस कर्मवीर की शहादत को सलाम करता है।
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सरकार ने लिया ये महत्वपूर्ण फैसला
मध्य प्रदेश सरकार ने कोरोना आपदा में तैनात सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों के लिए महत्वपूर्ण फैसला लिया है। सरकार द्वारा निर्णय लिया गया है कि, कोरोना आपदा में ड्यूटी करने वाले कर्मचारी और अधिकारियों का बीमा कराया जाएगा। ये बीमा 50 लाख तक का होगा। इसमें नगरीय प्रशासन, पुलिस, राजस्व समेत वो सभी अधिकारी और कर्मचारियों को शामिल किया जाएगा, जो इस समय प्रदेशभर में कोरोना आपदा में ड्यूटी कर रहे हैं, ताकि काम के वक्त उन्हें कम से कम अपनी और अपने परिवार की सुरक्षा का भरोसा सरकार से बना रहे।
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उठी मांग
हालांकि, हालात को नियंत्रित करने के लिए कई अन्य विभागों के कर्मचारियों की तैनाती कोरोना आपदा से निपटने के लिए की गई है। सरकार की ओर से लिए गए इस फैसले के बाद मांग उठने लगी है कि इस बीमा का लाभ उन अन्य विभागों के कर्मचारियों को भी मिलना चाहिए, जो इस विपदा के समय अपने विभागों के काम छोड़कर कोरोना विपदा से निपटने के लिए मैदान में उतरे हुए हैं। मांग है कि, उनकी सुरक्षा का भरोसा भी सरकार का ही कर्तव्य है।