तालाब फूटने से आए पानी के सैलाब से एक दर्जन खेतों में खड़ी धान की फसल बही
– कराहल के मोराई गांव का मामला, राजस्व टीम ने नहीं किया सर्वे
कराहल
मंगलवार को तेज बारिश के चलते मोराई गांव में माता मंदिर के पास 18 साल पहले बना तालाब फूट गया। जिससे किसानों द्वारा रोपी गई धान की पौध पानी की धार में बह गई। इससे किसानों को नुकसान हुआ है। किसानों ने धान की पौध रोपने के लिए टै्रक्टर से खेत को मचाने के साथ रोपण करने तक लाखों रुपए खर्च किए थे। तालाब के फूटने से धान बह गई। किसान अब नुकसान के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जबकि अब तक पटवारी ने मौके पर पहुंचकर सर्वे तक नहीं किया है।
कराहल तहसील के गांव मोराई में तालाब की पार टूट कर बिखर गई। पार टूटने से तालाब में भरा पानी एक साथ नीचे के खेतों में चला गया। जिससे किसानों ने रोपी धान की पौध पानी के तेज बहाव से बह गई। किसान तुलसीराम, रामसिंह, रमेश, साहब सिंह , दिलीप सिंह , विजय सिंह के खेतों में लगी धान की फसल बह गई। किसानों का कहना है कि बीते दिनों ही धान का रोपण किया था। तालाब की पार टूटने से खेतों में पानी का सैलाब आया। जिससे खेतों में खड़ी धान पानी के साथ बह चली गई। तहसील में सूचना देने के बाद भी पटवारी ने कोई सर्वे नहीं किया है। जिससे नुकसान का आकंलन नहीं हो सका।
– कराहल के मोराई गांव का मामला, राजस्व टीम ने नहीं किया सर्वे
कराहल
मंगलवार को तेज बारिश के चलते मोराई गांव में माता मंदिर के पास 18 साल पहले बना तालाब फूट गया। जिससे किसानों द्वारा रोपी गई धान की पौध पानी की धार में बह गई। इससे किसानों को नुकसान हुआ है। किसानों ने धान की पौध रोपने के लिए टै्रक्टर से खेत को मचाने के साथ रोपण करने तक लाखों रुपए खर्च किए थे। तालाब के फूटने से धान बह गई। किसान अब नुकसान के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जबकि अब तक पटवारी ने मौके पर पहुंचकर सर्वे तक नहीं किया है।
कराहल तहसील के गांव मोराई में तालाब की पार टूट कर बिखर गई। पार टूटने से तालाब में भरा पानी एक साथ नीचे के खेतों में चला गया। जिससे किसानों ने रोपी धान की पौध पानी के तेज बहाव से बह गई। किसान तुलसीराम, रामसिंह, रमेश, साहब सिंह , दिलीप सिंह , विजय सिंह के खेतों में लगी धान की फसल बह गई। किसानों का कहना है कि बीते दिनों ही धान का रोपण किया था। तालाब की पार टूटने से खेतों में पानी का सैलाब आया। जिससे खेतों में खड़ी धान पानी के साथ बह चली गई। तहसील में सूचना देने के बाद भी पटवारी ने कोई सर्वे नहीं किया है। जिससे नुकसान का आकंलन नहीं हो सका।