पहेला पहुंचे एसडीएम, कराया नुकसान का सर्वे

– पांच गांव में हुआ बारिश से नुकसान का सर्वे

<p>पहेला पहुंचे एसडीएम, कराया नुकसान का सर्वे</p>
कराहल
कराहल के पहेला गांव तालाब फूटने के बाद हुए नुकसान का जायजा लेने बुधवार को अनुविभागीय अधिकारी विजेंद्र यादव, प्रभारी तहसीलदार नवल किशोर जाटव के साथ पहुंचे। एसडीएम यादव ने पांच सदस्यीय आरआई पटवारियों की टीम से सर्वे भी कराया। गांव का जायजा लेने के बाद एसडीएम यादव ने ग्रामीणों से नुकसान की जानकरी भी ली। पहेला में40 घरों में आंशिक नुकसान हुआ जबकि पांच घरों को नुकसान पहुंचा।
ग्राम पंचायत पहेला में मंगलवार की सुबह बारिश के पानी के साथ तालाब फूटने से गांव में सैलाब आ गया। इससे बचने के लिए ग्रामीणों ने ऊंचे स्थानों का सहारा लिया। प्रशासनिक टीम भी काफी देरी से गांव पहुंच सकी। इसके बाद प्रशासन ने ग्रामीणों के लिए भोजन की व्यवस्था की। पानी उतरने के बाद परिवार वापस अपने घरों में लौट गए। पानी से हुए नुकसान के बाद लोग घरों को दुरस्त करने में लग गए। इधर एसडीएम विजेंद्र सिंह यादव, प्रभारी तहसीलदार नवलकिशोर जाटव ने टीम के साथ पहुंचकर सर्वे कराया। पहेला सहित झिरन्या, भुरबाड़ा , बुखारी , चक मजीतपुर के हल्का में सर्वे कराया गया है।
तालाब फूटने से आए पानी के सैलाब से एक दर्जन खेतों में खड़ी धान की फसल बही
– कराहल के मोराई गांव का मामला, राजस्व टीम ने नहीं किया सर्वे
कराहल
मंगलवार को तेज बारिश के चलते मोराई गांव में माता मंदिर के पास 18 साल पहले बना तालाब फूट गया। जिससे किसानों द्वारा रोपी गई धान की पौध पानी की धार में बह गई। इससे किसानों को नुकसान हुआ है। किसानों ने धान की पौध रोपने के लिए टै्रक्टर से खेत को मचाने के साथ रोपण करने तक लाखों रुपए खर्च किए थे। तालाब के फूटने से धान बह गई। किसान अब नुकसान के मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जबकि अब तक पटवारी ने मौके पर पहुंचकर सर्वे तक नहीं किया है।
कराहल तहसील के गांव मोराई में तालाब की पार टूट कर बिखर गई। पार टूटने से तालाब में भरा पानी एक साथ नीचे के खेतों में चला गया। जिससे किसानों ने रोपी धान की पौध पानी के तेज बहाव से बह गई। किसान तुलसीराम, रामसिंह, रमेश, साहब सिंह , दिलीप सिंह , विजय सिंह के खेतों में लगी धान की फसल बह गई। किसानों का कहना है कि बीते दिनों ही धान का रोपण किया था। तालाब की पार टूटने से खेतों में पानी का सैलाब आया। जिससे खेतों में खड़ी धान पानी के साथ बह चली गई। तहसील में सूचना देने के बाद भी पटवारी ने कोई सर्वे नहीं किया है। जिससे नुकसान का आकंलन नहीं हो सका।
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