प्रारंभिक इलाज की नहीं व्यवस्था, सिर्फ रक्त चढ़ाने का इंतजाम
श्योपुर जिले में इसके पीडि़तों की संख्या तो दिनोदिन बढ़ती जा रही है पर इसके इलाज की प्रारंभिक व्यवस्था यहां नहीं है। ज्यादा से ज्यादा पीडि़तों को रक्त चढ़ाने तक का इंतजाम यहां के अस्पतालों में है। स्थिति ज्यादा बिगडऩे पर पीडि़तों को बाहर के बड़े अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ती है।
श्योपुर जिले में इसके पीडि़तों की संख्या तो दिनोदिन बढ़ती जा रही है पर इसके इलाज की प्रारंभिक व्यवस्था यहां नहीं है। ज्यादा से ज्यादा पीडि़तों को रक्त चढ़ाने तक का इंतजाम यहां के अस्पतालों में है। स्थिति ज्यादा बिगडऩे पर पीडि़तों को बाहर के बड़े अस्पतालों की दौड़ लगानी पड़ती है।
जिला अस्पताल में थैलेसीमिया वार्ड तक नहीं
जिला अस्पताल में रक्त चढ़वाने आने वाले बच्चों के परिजनों को थैलेसीमिया वार्ड नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। वार्ड के अभाव में बच्चों को सामान्य वार्ड में भर्ती कर ब्लड चढ़ाया जाता है। ऐसे में कभी कभा यहां पलंग तक नसीब नहीं होता। परिजनों का कहना है कि कम से कम एक अलग से वार्ड होना चाहिए।
जिला अस्पताल में रक्त चढ़वाने आने वाले बच्चों के परिजनों को थैलेसीमिया वार्ड नहीं होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। वार्ड के अभाव में बच्चों को सामान्य वार्ड में भर्ती कर ब्लड चढ़ाया जाता है। ऐसे में कभी कभा यहां पलंग तक नसीब नहीं होता। परिजनों का कहना है कि कम से कम एक अलग से वार्ड होना चाहिए।
थैलेसीमिया है अनुवांशिक बीमारी
थैलेसीमिया नामक बीमारी आनुवांशिक होती है। इस बीमारी का मुख्य कारण रक्त दोष होता है। यह बीमारी बच्चों को अधिकतर अपनी चपेट में लेती है। यानि इस बीमारी से बच्चे अधिक ग्रसित होते है। समय पर इलाज न होने से बच्चे की मौत तक हो सकती है। इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता कम होती है। जिसके चलते समय रहते लोग इस बीमारी को नहीं पकड़ पाते।
थैलेसीमिया नामक बीमारी आनुवांशिक होती है। इस बीमारी का मुख्य कारण रक्त दोष होता है। यह बीमारी बच्चों को अधिकतर अपनी चपेट में लेती है। यानि इस बीमारी से बच्चे अधिक ग्रसित होते है। समय पर इलाज न होने से बच्चे की मौत तक हो सकती है। इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता कम होती है। जिसके चलते समय रहते लोग इस बीमारी को नहीं पकड़ पाते।
वर्तमान में श्योपुर जिले में थैलेसीमिया पीडि़त: 54
हिमोफिलिया पीडि़त: 6 इनका कहना है
इस समय थैलेसीमिया के 54 व हिमोफिलिया के 6 पीडि़त दर्ज है। इन बीमारियों से पीडि़त मरीजों को सबसे ज्यादा ब्लड की जरुरत पड़ती है। जो उनको उपलब्ध कराया जाता है।
डॉ.आरबी गोयल
सिविल सर्जन, जिला अस्पताल
हिमोफिलिया पीडि़त: 6 इनका कहना है
इस समय थैलेसीमिया के 54 व हिमोफिलिया के 6 पीडि़त दर्ज है। इन बीमारियों से पीडि़त मरीजों को सबसे ज्यादा ब्लड की जरुरत पड़ती है। जो उनको उपलब्ध कराया जाता है।
डॉ.आरबी गोयल
सिविल सर्जन, जिला अस्पताल