पहले बैठक तक सीमित रहे प्रभारी मंत्री, मेडिकल कॉलेज में बिगड़ी स्थिति तो ली सुध

दलील: ऑक्सीजन की कमी से नहीं, क्रिटिकल गंभीर मरीज की हुई मौत

<p>पहले बैठक तक सीमित रहे प्रभारी मंत्री, मेडिकल कॉलेज में बिगड़ी स्थिति तो ली सुध</p>

शहडोल. मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की कमी की वजह से स्थिति बिगड़ी तो जिले के कोविड प्रभारी मंत्री एवं खाद्य नागरिक उपभोक्ता एवं संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने मेडिकल कॉलेज में हुई मौतों की वस्तुस्थिति जानने पहुंच गए। जबकि दो दिन पूर्व पहली बार उनका जिले में आगमन हुआ था इस दौरान वह मेडिकल कॉलेज में इलाजरत मरीजों का हाल जानने व वहां की व्यवस्थाएं देखने नहीं पहुंचे। कलेक्ट्रेट के बंद सभागार में अधिकारियों की बैठक लेकर वापस लौट गए थे। रविवार को स्थिति बिगड़ी तो वह मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। जहां उन्होने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन व प्रशासनिक अधिकारयों की बैठक ली। इस दौरान उन्होने सभी विधायकों को कहा कि विधायक निधि से कोविड महामारी के संक्रमण प्रसार को देखते हुए विधायक निधि से 25-25 लाख रुपए प्रदान करें, जिससे आवश्यकता पडऩे पर व्यवस्थाओं के लिए इस मद का उपयोग किया जा सके। बैठक में मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ मिलिंद शिलारकर ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था है। ऑक्सीजन टैंकर में प्रेशर की कमी आई थी, जंबो सिलेंडर सपोर्ट सिस्टम से ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था कराई गई थी। जो भी मौतें हुई हैं वे ऑक्सीजन की कमी से नही हुई, मरीजों की हालत बहुत ही क्रिटिकल थी।

प्राइवेट हॉस्पिटलों में बनाई व्यवस्था
बैठक में कलेक्टर ने प्रभारी मंत्री को बताया कि जिले में प्राइवेट नर्सिंग होम, देवांता एवं श्री राम हॉस्पिटल में 25 कोविड बेड बनाए गए है तथा अमृता हॉस्पिटल में 10 कोविड बेड बनाए गए हैं। इस तरह जिले में 60 अतिरिक्त कोविड बेड प्राइवेट अस्पतालों में बनाए गए हैं। जिला रेड क्रॉस सोसाइटी से 50 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर एवं 20 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की व्यवस्था भी की गई है।

अनअटेंडेड न रहे कोई भी मरीज
कलेक्टर डॉ सतेन्द्र सिंह ने अधिष्ठाता मेडिकल कॉलेज को कहा कि मेडिकल कॉलेज के कोविड वार्ड में नामजद चिकित्सकों की ड्यूटी लगाएं। कोई भी मरीज अनअटेंडेड ना रहे। मेडिकल कॉलेज में जैसे ही मरीज आता है उसे तत्काल भर्ती कर चिकित्सकीय सुविधाएं मुहैया कराएं। कलेक्टर ने प्रभारी मंत्री को आश्वस्त किया कि जिले में ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्था कर ली गई है। रेमड़ीशिविर इंजेक्शन की पर्याप्त व्यवस्था है रेड क्रॉस सोसाइटी से भी आवश्यकता पडऩे पर उक्त इंजेक्शन खरीदा जा रहा है। कलेक्टर ने अपर कलेक्टर को निर्देश दिया कि सुबह 9 बजे एवं सायं 8 बजे प्रतिदिन मेडिकल कॉलेज में बैठक लेकर वहां उपलब्ध व्यवस्थाओं का अपडेट प्रतिदिन लें।

 

परिजनों की पीड़ा
हमने तो कहा था रिलीव कर दो पर नहीं किए, पानी तक नहीं देते थे
कोरोना संक्रमित की मौत के बाद उसके परिजनो ने मेडिकल कॉलेज प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया है। मृतक के परिजनों का कहना था कि उनके मरीज की स्थिति में काफी सुधार था। रिलीव कराकर घर पर रखना चाहते थे लेकिन रिलीव नहीं किया गया। यदि रिलीव कर दिया जाता तो शायद आज यह घटना घटित नहीं होती। उधर मृतकों के परिजनो का आरोप है कि मेडिकल कॉलेज में मरीजों को समुचित इलाज मुहैया नहीं कराया जा रहा है। मरीजों को पानी तक नहीं पिलाने दिया जा रहा है और न ही पिलाने दिया जाता है। मरीज के अटेण्डरों को भगा दिया जाता है। कोई डॉक्टर भी नहीं आता, समय पर मरीजों को दवा भी नहीं दी जाती है। कई बार बोलने के बाद दवा व इंजेक्शन दिया जाता है।


सभी बेड फुल, बढ़ रहा दबाव
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन की माने तो लगातार दबाव बढ़ रहा है ऑक्सीजन की खपत भी बढ़ गई है। आईसीयू के 62 बेड, 25 प्राईवेट और 21 एचडीयू में लगातार ऑक्सीजन सप्लाई हो रही है। वहीं बाईपैप मशीन में भी 12-15 मरीज भर्ती है। ऑक्सीजन की खपत बढऩे की वजह से 10 हजार लीटर का ऑक्सीजन टैंक चार दिन से ज्यादा नहीं चल पा रहा है।


देर रात ऑक्सीजन टैंक में ऑक्सीजन कम होने की वजह से बिस्तरों तक ऑक्सीजन सप्लाई का प्रेशर कम हो गया था। हमने बैकअप के माध्यम से सप्लाई जारी रखी है। ऑक्सीजन की कमी से मौत नहीं हुई है यदि ऐसा होता तो और भी मरीज प्रभावित होते।
डॉ मिलिन्द शिरालकर, डीन मेडिकल कॉलेज शहडोल

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