समस्या: नहीं मिल रही सवारी, कई रूट में आवागमन बंद, यात्री भी परेशान

120 में चल रहीं सिर्फ 30 बसें, किराया नहीं बढ़ा तो इनके भी थम जाएंगे पहिएटैक्स में राहत के बाद भी कम नहीं हुई मुश्किलें

<p>समस्या: नहीं मिल रही सवारी, कई रूट में आवागमन बंद, यात्री भी परेशान</p>

शहडोल. पांच माह के टैक्स में छूट मिलने के बाद भी बस मालिकों की मुश्किलें कम नहीं हुई हैं। टैक्स माफी के बाद बसों का संचालन तो शुरू हुआ है लेकिन रूट में सवारी न मिलने और डीजल के बढ़े हुए दाम के चलते उन्हे काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। डीजल के बढ़े हुए दामों व कम सवारी मिलने की वजह से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए बस संचालकों द्वारा किराए में बढ़ोत्तरी की मांग की गई है। अभी तक सरकार ने इस दिशा में कोई निर्णय नहीं लिया है। स्थिति यह है कि गिनती की सवारी मिल रही है। सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए सवारियों को गंतत्व तक पहुंचाना पड़ रहा है। ऐसी स्थिति में आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। किराया निर्धारण समिति गठित करने के बाद निर्णय लेने की बात कही गई थी लेकिन अभी तक बात नहीं
बन पाई है।
30 फीसदी बसों का संचालन
बस स्टैण्ड शहडोल से कोरोना संक्रमण के पूर्व लगभग 120 बसों का संचालन हो रहा था। जहां से अब महज 30 बसों का ही संचालन हो रहा है। जिसका प्रमुख कारण रूट में सवारी न मिलने को माना जा रहा है। फिलहाल सबसे ज्यादा कटनी रूट में बसों का संचालन हो रहा है। इसके अलावा अन्य स्थानों के लिए एक दो बसे ही संचालित हो रही है। बनारस, इलाहाबाद व नागपुर के लिए बहुत कम बसे हैं। बताया जा रहा है कि नागपुर के लिए जहां दिन में तीन बसें रवाना होती थी वहां एक ही बस जा रही है वह भी एक दिन के अंतराल में।
किराए का नहीं हुआ निर्धारण
बस ऑनर्स ने टैक्स माफी के साथ ही किराए में बढ़ोत्तरी की भी मांग रखी थी। जिसमें से टैक्स माफी के आदेश तो हो गए हैं लेकिन किराया निर्धारण को लेकर अभी तक कोई निर्णय नहीं हो पाया है। किराया निर्धारण समिति का गठन कर किराया बढ़ाने का आश्वासन मिला था लेकिन अभी इस दिशा में भी कोई कार्य नहीं हुआ। जिसे लेकर प्रदेश स्तर पर ज्ञापन सौंपकर मांग रखी गई है। संगठन ने यह निर्णय भी लिया है कि किराए में वृद्धि नहीं होती तो वह फिर से आंदोलन की राह पर चलने के लिए बाध्य होंगे और बसों के पहिए फिर थम जाएंगे।
खर्च निकालना हो रहा मुश्किल
बस मालिकों की माने तो वह सभी रूटो में बस चलाने के लिए तैयार है लेकिन जिस तरह से सवारी मिल रही है उतने में बस का खर्चा ही नहीं निकल पा रहा है। ऐसे में वह अपने कर्मचारियों को क्या देंगे। वहीं डीजल के दाम भी बढ़ गए हैं। ऐसे में बस चलाना बड़ा मुश्किल हो रहा है।
इनका कहना है
रूट में सवारी न मिलने व डीजल के दाम बढऩे की वजह से बसों का खर्चा निकलना भी मुश्किल हो रहा है। जिस वजह से बहुत कम संख्या में बसों का संचालन हो रहा है। किराया बढ़ाने की मांग रखी गई है।
भागवत प्रसाद गौतम, जिला अध्यक्ष, बस ऑनर्स एसोसिएशन।
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किराया समिति का गठन कर सीमावर्ती जिलों व पड़ोसी राज्यों से किराए के संबंध में जानकारी एकत्रित कर भेजी गई है। इसके बाद जो निर्णय लिया जाएगा उसके अनुसार किराए में बढ़ोत्तरी की जाएगी।
आशुतोष भदौरिया, जिला परिवहन अधिकारी शहडोल।

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