शाहडोल

दीवारें ऐसी कि तेज हवा चलने पर धराशायी हो जाए, दशकों से नपा ने नहीं कराया सर्वे

शहर में कई खण्डहर आवास और सरकारी बिल्डिंग, हादसों से नहीं चेत रहे अधिकारी

शाहडोलAug 02, 2021 / 08:32 pm

amaresh singh

दीवारें ऐसी कि तेज हवा चलने पर धराशायी हो जाए, दशकों से नपा ने नहीं कराया सर्वे

शहडोल. शहर के भीतर दर्जनों खण्डहर मकान और सरकारी बिल्डिंग से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। इन खण्डहर दीवारों की स्थिति ऐसी है कि तेज हवा चलने पर ही धराशायी हो जाए। प्रदेश के कई जगहों में हादसों के बाद भी अधिकारी नहीं चेत रहे हैं। नगरपालिका ने भी आज तक दशकों पुराने इन आवास और सरकारी बिल्डिंग का सर्वे नहीं कराया है। इतना ही नहीं, कई ऐसे खण्डहर आवास और सरकारी भवनों में लोग रह भी रहे हैं। बारिश में इनके गिरने का खतरा बढ़ गया है। दशकों पुराने जर्जर मकानों का सर्वे नहीं किया है। इससे शहर में कई मकान जो पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं, वह धराशायी हो सकते हैं। इन आवासों में रहने वाले लोगों के साथ ही आसपास रहने वाले लोगों के लिए भी खतरा है। कई बार लोगों ने आपत्ति करते हुए नगरपालिका और जनप्रतिनिधियों से भी चर्चा की लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला। शहर में जर्जर मकानों का सर्वे न करना नगरपालिका की लापरवाही दर्शा रहा है।


पीएम आवास के लिए दो बार आवेदन, खारिज किया
नगर के वार्ड क्रमांक 26/35 निवासी दीपचन्द्र सोनी के परिवार की जान आफत में है। नगर के बीचों बीच बने दीपचन्द्र के मकान की स्थिति इतनी दयनीय है कि वह कभी भी ढह सकता है। उसके द्वारा पीएम आवास के लिए कई बार आवेदन किया गया लेकिन उसे पीएम आवास की सुविधा नहीं मिल पाई। दीपचन्द्र की माने तो दो बार सूची में उसका नाम आने के बाद खारिज कर दिया गया। जब भी इस संबंध में नपा में बात करता है तो यह कहकर उसे वापस कर दिया जाता है कि नजूल की भूमि होने की वजह से लिस्ट से नाम खारिज कर दिया गया है। पुस्तैनी निवासी होने के बाद भी दीपचन्द्र को नजूल की भूमि का हवाला देकर पीएम आवास योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है। जबकि कभी भी उसका मकान ढह सकता है। सबसे ताज्जुब की बात तो यह है कि उसके मकान से चन्द्र कदम दूर पर ही नपा उपाध्यक्ष और नपा अध्यक्ष का भी मकान है। लेकिन दीपचन्द्र की कोई भी जनप्रतिनिधि सुध नहीं ले रहा है।

सर्वे में चिन्हित कर गिराने थे मकान
नियमानुसार शहर में दशकों पुराने जर्जर मकानों का सर्वे कार्य किया जाना चाहिए। सर्वे के दौरान जो मकान पूरी तरह से जर्जर मिलते हैं तो उन्हें गिराने के लिए नोटिस जारी किया जाना चाहिए। इसके बाद निर्धारित समय के अंदर उस मकान को बारिश के मौसम से पहले गिरा देना चाहिए लेकिन यहां पर ऐसा नहीं किया जा रहा है। जिससे आसपास रहने वाले लोग भी दहशत में हैं। कई आवास तो ऐसे है तो सड़क किनारे हैं, यदि यहां दीवारें गिरती हैं तो बड़ा हादसा हो सकता है।

दर्जनों मकान होंगे जर्जर
शहर में ऐसे दर्जनों की संख्या में मकान होंगे जो दशकों पुराने हैं। इन मकानों को डिस्मेंटल करने की अवधि पूरी हो चुकी है लेकिन नगरपालिका को ये भी नहीं पता है कि शहर में कहां पर और कितनी संख्या में पूरी तरह से जर्जर मकान हैं व गिरने के कगार पर खड़े हैं।


नगरपालिका ने शहर में दशकों पुराने जर्जर मकान हैं उनका सर्वे नहीं किया है। इसकी सूची नगरपालिका द्वारा तैयार कराई जाएगी। खण्डहर आवास को गिराने नोटिस दिया जाएगा।
अमित तिवारी, सीएमओ
नगरपालिका, शहडोल

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