देशभर में यहां के महुआ की पहचान, यूनिट लगाकर बनाएंगे बिस्किट

महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ वनोपज को भी मिलेगा बढ़ावा

<p>देशभर में यहां के महुआ की पहचान, यूनिट लगाकर बनाएंगे बिस्किट</p>

शहडोल. कोरोना संक्रमण के बीच रोजगार और मजदूरी छूटने के बाद भी महिलाएं डटकर खड़ी हैं। आत्मनिर्भरता की दिशा में लगातार महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। शहर के गंज रोड में महुआ से बिस्किट तैयार करने की यूनिट तैयार की गई हैं। यहां पर महिलाएं महुआ की बिस्किट बनाएंगी। कृषक उत्पादन संगठन ने तीन समूह की 45 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया है। महुआ स्थानीय स्तर पर एकत्रित कर उससे बिस्किट तैयार किया जाएगा। महुआ से बिस्किट बनाने के लिए छोटी यूनिट स्थापित की जा चुकी है। साथ ही इसके लिए माइक्रोवेव मिक्सर भी आ गया है। पदाधिकारियों की मानें तो, तीन से चार दिन में काम शुरू हो जाएगा। बताया गया कि अभी छोटी मशीन को ट्रेनिंग उद्देश्य के लिए रखा गया है। इससे हर दिन 500 बिस्किट का उत्पादन होगा। आने वाले समय में इसकी क्षमता भी बढ़ाई जाएगी।


बड़ी मशीन के लिए दिया प्रस्ताव
कृषक उत्पादन संगठन ने बड़ी यूनिट स्थापित करने के लिए मशीन लगाने का प्रस्ताव कलेक्टर को भेजा है। कलेक्टर से प्रस्ताव को जल्द ही स्वीकृति मिल जाएगी। बड़ी यूनिट में बड़ी मशीन के आ जाने के बाद हर दिन एक क्विंटल बिस्किट का उत्पादन होगा। पहले चरण में 45 महिलाओं को बिस्किट बनाने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। जब बड़ी यूनिट लग जाएगी और मशीन आ जाएगा तब और भी समूह की महिलाआओं को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
मार्केट में भी उपलब्ध कराएंगे बिस्किट
महुआ के बिस्किट की खपत के लिए कृषक उत्पादन संगठन मार्केट भी उपलब्ध करायेगा। महुआ का बिस्किट बहुत लाभदायक होता है। इसे कम लागत में तैयार किया जा सकेगा। इस बिस्किट का डिमांड भी लोगों में ज्यादा है। महुआ में न्यूट्रिशन बहुत अच्छी मात्रा में होती है और जब इससे बिस्किट बनता है तो यह और पौष्टिक हो जाता है। कुपोषण मेें महुआ से बनी बिस्किट बहुत ज्यादा काम आ सकती है।


वनोपज में शामिल महुआ, देशभर में पहचान
महुआ का कारोबार देशभर में चर्चित है। महुआ के लिए शहडोल बड़ा हब है। यहां पर हर साल 50 से 80 हजार क्विंटल से ज्यादा महुआ निकलता है। स्थानीय स्तर पर व्यापारी यहां पर महुआ की खरीदी करते हैं। देशभर के अलग-अलग हिस्सों में यहां से महुआ सप्लाई किया जाता है। पूर्व में सरकार ने 14 रुपए समर्थन मूल्य तय किया था लेकिन बिचौलियों ने ज्यादा दाम में खरीद लिए थे।


अभी छोटी यूनिट स्थापित किया गया है। पहले चरण में 45 महिलाओं को प्रशिक्षण दिया गया है। बड़ी मशीन के आ जाने के बाद हर दिन एक क्विंटल बिस्किट का उत्पादन होगा।
प्रदीप सिंह, सीईओ कृषक संगठन

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